Friday, September 19, 2014

आज की कविता : प्रतीक

                                                           - मिलन सिन्हा 















यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है। 

इसे मत छांटो 
इसे मत तोड़ो 
इसे मत काटो 
इसे मत उखाड़ो 
इसे फलने दो 
इसे फूलने दो 
इसे हंसने दो 
इसे गाने दो 

यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है। 

इस पर सबके घोसले हैं 
कौआ का है, मैना का है 
बगुला का है, तोता का है 
सब मिलकर रहते हैं 
सब खुशहाल हैं 
सब आबाद हैं 
इसे बरबाद मत करो 
इनकी भावनाओं को मत छेड़ो 

यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है। 

यह हमारा अतीत है 
यह हमारा वर्तमान है 
यह हमारा भविष्य है 
इसमें ऊंचाई है 
इसमें गहराई है 
इसमें दूरदृष्टि है 
ईश्वर की यह अपूर्व सृष्टि है 

यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है।  

इस पर अनेक अत्याचार हुए
इस पर अनेक आक्रमण हुए 
इसे तोड़ने के अनेक षड्यंत्र हुए 
फिर भी यह झुका नहीं 
टूटा नहीं, उखड़ा नहीं 
बलिदान का पर्याय है यह 
धैर्य और त्याग का नमूना है यह 
इसे आदर दो, प्यार दो 

यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है। 

इसने सिर्फ देना ही सीखा 
फल दिया, फूल दिया 
संगीत दिया, सुगंध दिया 
हमारे जीवन को सुखमय किया 
यह हमारी सभ्यता, संस्कृति का प्रतीक है 
इसके बिना हमारा क्या अस्तित्व है 
हाँ, यह पेड़ नहीं, समझो देश है 
अब कहना क्या शेष है 

यह पेड़ है 
हम सबका पेड़ है। 

      और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

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