- मिलन सिन्हा
आज हर आम आदमी की जिन्दगी में शोर, अनिश्चितता और कन्फूयजन बढ़ रहा है। कारण एक नहीं, कई हैं - जाने, पहचाने और अनजाने भी। मनुष्य आम बुनियादी समस्याओं के बीच शांति और सकून को तलाशता रहता है, जो जीवन को गतिमान बनाये रखने के लिए अनिवार्य है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि शांति और सकून जीवन में नई ऊर्जा एवं उत्साह का सृजन करते हैं। और यह भी सही है कि जीवन में शांति, सकून और संगीत का बेहद करीबी रिश्ता रहा है। भाग-दौड़ से भरी तथा द्वेष-वैमनस्य से रू-ब-रू होती हमारी दैनंदिन जिन्दगी में संगीत मधुरता घोलने का काम करता है। संगीत के संगत में आदमी व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामजिक तनाव को कम कर सकता है। सामाजिक सदभाव व समरसता बढ़ाने में संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका सदियों से रही है । शादी-विवाह से लेकर हर खुशी के मौके पर हम संगीत का आनन्द उठाते हैं। इतना ही नहीं, हर धर्म में ईश्वर की उपासना-प्रार्थना के लिए लोग गाते है, मौके को संगीतमय बनाते हैं। सच कहें तो, संगीत हमें ईश्वर से जोड़ने का काम बखूबी करता है । शायद यही कारण है कि मनुष्य के अलावे पशु ,पक्षी, पेड़ -पौधे सभी संगीत से प्रभावित होते पाये गए हैं।
आज हर आम आदमी की जिन्दगी में शोर, अनिश्चितता और कन्फूयजन बढ़ रहा है। कारण एक नहीं, कई हैं - जाने, पहचाने और अनजाने भी। मनुष्य आम बुनियादी समस्याओं के बीच शांति और सकून को तलाशता रहता है, जो जीवन को गतिमान बनाये रखने के लिए अनिवार्य है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि शांति और सकून जीवन में नई ऊर्जा एवं उत्साह का सृजन करते हैं। और यह भी सही है कि जीवन में शांति, सकून और संगीत का बेहद करीबी रिश्ता रहा है। भाग-दौड़ से भरी तथा द्वेष-वैमनस्य से रू-ब-रू होती हमारी दैनंदिन जिन्दगी में संगीत मधुरता घोलने का काम करता है। संगीत के संगत में आदमी व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामजिक तनाव को कम कर सकता है। सामाजिक सदभाव व समरसता बढ़ाने में संगीत की महत्वपूर्ण भूमिका सदियों से रही है । शादी-विवाह से लेकर हर खुशी के मौके पर हम संगीत का आनन्द उठाते हैं। इतना ही नहीं, हर धर्म में ईश्वर की उपासना-प्रार्थना के लिए लोग गाते है, मौके को संगीतमय बनाते हैं। सच कहें तो, संगीत हमें ईश्वर से जोड़ने का काम बखूबी करता है । शायद यही कारण है कि मनुष्य के अलावे पशु ,पक्षी, पेड़ -पौधे सभी संगीत से प्रभावित होते पाये गए हैं।
मजेदार बात यह है कि संगीत सुनने, सीखने और समझने की कोई उम्र नहीं होती। यह तो हमारे श्वास से जुड़ा है और अन्तिम श्वास तक साथ रहता है। सो इसे शौक के रूप में कभी भी विकसित किया जा सकता है। संगीत का साथ न केवल हमारे व्यक्तित्व में निखार लाता है, बल्कि हमें शारीरिक और मानसिक रूप में स्वस्थ रखने में कारगर भूमिका अदा करता है। मानसिक तनाव से परेशान रहने वाले लोगों के लिए तो संगीत बेहद प्रभावी औषधि का काम करता है । ज्ञानीजन कहते हैं कि जिनके जीवन में लय,ताल व सुर का अभाव होता है, उनका स्वभाव असुर जैसा हो, तो इसमें अस्वाभाविक क्या है ? तो आइये गुनगुनाते हैं प्रख्यात गायक मन्ना डे के एक गाने के ये अनमोल बोल : सुर के बिना जीवन सूना ....संगीत मन को पंख लगाये ....
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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