- मिलन सिन्हा
हमारे जीवन में कुछ चीजें अत्यावश्यक होते हुए भी हमें मुफ्त में मिल जाती है। इन्हें कुदरत ने बड़े -छोटे सबको समान रूप से उपलब्ध करवाया है। कौन सी हैं ये चीजें, नहीं समझे ? कुदरत का अनमोल उपहार - वायु, जल,धूप आदि। अब हवा को ही लें। हवा न हो तो जीवन की कल्पना तो दूर, साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक की बात हम सोच भी नहीं सकते हैं। मानव जीवन में हवा से हमारा अभिप्राय मुख्यतः ऑक्सीजन से होता है।कहते हैं एक साधारण इंसान बिना ऑक्सीजन के आठ मिनट से ज्यादा जिन्दा नहीं रह सकता है। सबको मालूम हैं कि जब हम श्वास लेते हैं तब ऑक्सीजन युक्त हवा फेफड़े तक पहुंचती है और हमारे फेफड़े में भरी कार्बन डाई ऑक्साइड युक्त दूषित हवा बाहर निकलती है। पेड़-पौधों द्वारा इस कार्बन डाई ऑक्साइड को फोटोसिंथेसिस क्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन में परिवर्तित करने का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होता है।
साधु-संत व योगी-साधक के साथ-साथ जानकार-समझदार लोग भी श्वास की महत्ता को बखूबी समझते हैं और उसकी तार्किक व्याख्या भी करते हैं। यही कारण है कि वे प्राकृतिक परिवेश में विभिन्न ब्रीदिंग एक्सरसाइज का लाभ उठाते हैं। वे कहते हैं कि दीर्घ श्वास लेनेवाले प्राणी की उम्र, जल्दी-जल्दी श्वास लेनेवाले से कहीं ज्यादा होती है। यह बात गौर करने लायक है कि श्वसन दर का सीधा ताल्लुक दिल की सेहत से है तथा उसका प्राणी की आयु से। मसलन, चूहे की उम्र बहुत कम होती है, क्यों कि उसके दिल की धड़कन औसतन एक हजार प्रति मिनट है, जब कि दीर्घजीवी प्राणी हाथी व व्हेयल मछली के दिल की धड़कन प्रति मिनट क्रमशः पच्चीस एवं सोलह है। कहने का तात्पर्य यह कि दीर्घ व लयपूर्ण श्वास प्रक्रिया से ऑक्सीजन का समुचित उपयोग कर हम लम्बी उम्र तक गुड लाइफ का आनंद ले सकते हैं।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
हमारे जीवन में कुछ चीजें अत्यावश्यक होते हुए भी हमें मुफ्त में मिल जाती है। इन्हें कुदरत ने बड़े -छोटे सबको समान रूप से उपलब्ध करवाया है। कौन सी हैं ये चीजें, नहीं समझे ? कुदरत का अनमोल उपहार - वायु, जल,धूप आदि। अब हवा को ही लें। हवा न हो तो जीवन की कल्पना तो दूर, साइकिल से लेकर हवाई जहाज तक की बात हम सोच भी नहीं सकते हैं। मानव जीवन में हवा से हमारा अभिप्राय मुख्यतः ऑक्सीजन से होता है।कहते हैं एक साधारण इंसान बिना ऑक्सीजन के आठ मिनट से ज्यादा जिन्दा नहीं रह सकता है। सबको मालूम हैं कि जब हम श्वास लेते हैं तब ऑक्सीजन युक्त हवा फेफड़े तक पहुंचती है और हमारे फेफड़े में भरी कार्बन डाई ऑक्साइड युक्त दूषित हवा बाहर निकलती है। पेड़-पौधों द्वारा इस कार्बन डाई ऑक्साइड को फोटोसिंथेसिस क्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन में परिवर्तित करने का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होता है।
साधु-संत व योगी-साधक के साथ-साथ जानकार-समझदार लोग भी श्वास की महत्ता को बखूबी समझते हैं और उसकी तार्किक व्याख्या भी करते हैं। यही कारण है कि वे प्राकृतिक परिवेश में विभिन्न ब्रीदिंग एक्सरसाइज का लाभ उठाते हैं। वे कहते हैं कि दीर्घ श्वास लेनेवाले प्राणी की उम्र, जल्दी-जल्दी श्वास लेनेवाले से कहीं ज्यादा होती है। यह बात गौर करने लायक है कि श्वसन दर का सीधा ताल्लुक दिल की सेहत से है तथा उसका प्राणी की आयु से। मसलन, चूहे की उम्र बहुत कम होती है, क्यों कि उसके दिल की धड़कन औसतन एक हजार प्रति मिनट है, जब कि दीर्घजीवी प्राणी हाथी व व्हेयल मछली के दिल की धड़कन प्रति मिनट क्रमशः पच्चीस एवं सोलह है। कहने का तात्पर्य यह कि दीर्घ व लयपूर्ण श्वास प्रक्रिया से ऑक्सीजन का समुचित उपयोग कर हम लम्बी उम्र तक गुड लाइफ का आनंद ले सकते हैं।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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