Tuesday, October 22, 2013

आज की कविता : जीवन एक नाव, तैयारी

                           - मिलन सिन्हा 
एक 
जीवन 
एक नाव है,
मौत 
सागर सामान है
कब कोई 
उफान आवे 
और 
लील ले 
नाव  को 
कोई कैसे 
कह सकता है ?

दो 
हमें 
'आज' को 
'कल' के लिए 
तैयार करना है,
क्यों कि 
'कल' के 
भरोसे ही तो 
हमें जीना है !

               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
# 'जीवन साहित्य' में प्रकाशित 

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