- मिलन सिन्हा
एक
जीवन
एक नाव है,
मौत
सागर सामान है
कब कोई
उफान आवे
और
लील ले
नाव को
कोई कैसे
कह सकता है ?
दो
हमें
'आज' को
'कल' के लिए
तैयार करना है,
क्यों कि
'कल' के
भरोसे ही तो
हमें जीना है !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# 'जीवन साहित्य' में प्रकाशित
एक
जीवन
एक नाव है,
मौत
सागर सामान है
कब कोई
उफान आवे
और
लील ले
नाव को
कोई कैसे
कह सकता है ?
दो
हमें
'आज' को
'कल' के लिए
तैयार करना है,
क्यों कि
'कल' के
भरोसे ही तो
हमें जीना है !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# 'जीवन साहित्य' में प्रकाशित
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