Saturday, October 12, 2013

आज की कविता : जीवन का हिसाब

                                                             - मिलन सिन्हा 
life









तुमसे बेहतर  
तुम्हें जाने कौन 
मुझसे बेहतर 
मुझे जाने कौन 
लोग कहें न कहें 
मानें  न मानें 
जानें न जानें 
पहचानें न पहचानें 
क्या फर्क पड़ेगा 
जैसे हम हैं  
वैसे हम हैं 
जैसा आगे करेंगे 
वैसा ही बनेंगे 
सच है, झूठ से सच 
कैसे साबित करेंगे   
गलत तरीके से 
जब जोड़ेंगे संपत्ति 
दूर कैसे रहेगी तब 
हमसे  विपत्ति 
गवाह है मानव इतिहास 
होता है अपने-अपने 
कर्मों का यहीं हिसाब 
इसी जीवन में 
जीना है सबको 
अपने हिस्से का स्वर्ग 
अपने हिस्से का नर्क 
करें क्यों तब छल-प्रपंच 
और अपना ही बेड़ा गर्क !

                 और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित

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