Friday, October 4, 2013

हास्य व्यंग्य कविता : नया खेल

                                               - मिलन सिन्हा

तिकड़म सब हो गए फेल
नेताजी पहुँच ही गए जेल
बनने लगे हैं नए समीकरण
बाहर शुरू हो गया है नया खेल

खूब खाया था, खिलाया था 
पीया था, खूब पिलाया था
राजनीति को ढाल बनाया था
परिवार को आगे बढ़ाया था

जिनका खूब साथ दिया
उन्होंने ही दगा किया
भ्रष्टाचार के नाम पर
शिष्टाचार तक त्याग दिया

आगे क्या होगा, कितनी होगी सजा
पक्षवाले चिंतित, तो विपक्ष ले रहा मजा
पर एक बात पर हैं सब एकमत 
बुरे काम का होता ही  है बुरा नतीजा। 

                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं


 # प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :02.10.2013

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