Thursday, November 12, 2020

जैसी सोच वैसे हम, कैसे संभव है?

                                - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट ... ...

कोविड -19 महामारी के इस लम्बे दौर में अनेक अप्रत्याशित कारणों से बड़ी संख्या में हर उम्र के लोग हैरान-परेशान, चिंतित और तनावग्रस्त हैं. होम आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग, नेगेटिव न्यूज़, खानपान में असंतुलन, बेरोजगारी, आर्थिक तंगी, सामान्य रूटीन में असामान्य एवं अघोषित परिवर्तन और ऐसी अनेक बातों से आम लोगों का जीवन बहुत दुष्प्रभावित हुआ है.
लेकिन जीवन तो चलने का नाम है और जीवन में छोटी-बड़ी समस्याएं आती-जाती रहती हैं. सो, इन तमाम परेशानियों और चुनौतियों के बीच भी बहुत सारे  लोग हैं, जो आज भी कमोबेश संतुलित ढंग से जी रहे हैं और हंस-हंसा भी रहे हैं. यही है हमारी सोच और नजरिए का जीवन पर प्रभाव. हां, यूँ ही नहीं कहा जाता है कि सही सोच-विचार से हम जीवन को नई दिशा दे सकते हैं.


विश्व विख्यात मैनेजमेंट गुरु डेल कार्नेगी ने बताई जीवन की अहम बातें : जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही बनने लगते हैं. खुद को ताकतवर मानेंगे तो ताकतवर बनेंगे. डेल कार्नेगी ने जीवन की अहम बातें तीन वाक्यों में बताई हैं. 1) हम जो सोचते हैं, वही प्रमुख है.  2) हमारे  विचार ही हमें  वह बनाते हैं जो हम वास्तव में होते हैं और 3) अपनी सोच को बदलकर हम जिंदगी को भी बदल सकते हैं.  


जीने के प्रति प्रतिबद्धता और संकल्प को हमेशा स्ट्रांग बनाए रखनेवाले ये लोग  अंधेरे में भी रोशनी देख लेते हैं. जीवन के प्रति ये लचीला रुख रखते हैं. जिन बातों या सिचुएशन को ये कंट्रोल कर सकते हैं, उनका फोकस उन पर रहता है. जिनपर उनका कोई कंट्रोल नहीं होता उसे लेकर परेशान नहीं होते, बल्कि उसे स्वीकार करते हुए अपनी स्थिति को थोड़ा एडजस्ट करके चलने का प्रयास करते हैं. 


पॉजिटिव सोच वाले लोग गैर जरुरी बातों में समय और ऊर्जा नहीं गंवाते हैं. उनका समय व्यर्थ की बातों पर चिंता करने के बजाय अच्छी बातों के चिंतन-मनन में व्यतीत होता है. स्वाभाविक  रूप से उनकी रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को इससे जरुरी माहौल और पोषण उपलब्ध होता है. परिणाम स्वरुप वे कठिनाई के कठिन दौर में भी नए रास्ते तलाशने में कामयाब होते हैं. 


दरअसल, अच्छी और संतुलित सोच से हमारे शरीर में डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन, एंडोर्फिन जैसे फील गुड और फील हैप्पी होरमोंस का स्राव होने लगता है, जिससे हम प्रतिकूल परिस्थितियों में भी रिलैक्स्ड, शांत, संयत और खुश रह पाते हैं. स्वाभाविक रूप से हमारी पॉजिटिव एक्टिविटी बढ़ जाती है.
जाहिर है कि हमारा खानपान, रहन-सहन, आचरण सब जब बदलने लगे और एक ख़ास सकारात्मक दिशा में हो तो जीवन पर इसका सुंदर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. 

 (hellomilansinha@gmail.com) 


            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
# "दैनिक जागरण" और "नई दुनिया" के सभी संस्करणों में एक साथ (12.11.20) प्रकाशित  
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

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