Tuesday, February 12, 2019

मोटिवेशन : समय प्रबंधन से मिलेंगे अच्छे अंक

                                                                            - मिलन  सिन्हामोटिवेशनल स्पीकर...
स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं को मोटिवेट करने के क्रम में मैं "3 आर" को ठीक से साधने की बात करता रहा हूँ. यहाँ "3 आर" का मतलब रीडिंग, रिटेंशन और रिप्रोडक्शन से है. आम तौर पर यह पाया गया है कि पढ़ने, दिमाग में रख पाने तथा इम्तिहान में उसका उपयोग करने का अनुपात यानी  "3 आर"  का अनुपात 10 : 6 : 3 रहता है. इसका मतलब यह हुआ कि आपने 10 पेज पढ़ा, 6 पेज दिमाग में अंकित हुआ और मात्र 3 पेज के बराबर परीक्षा में लिख पाए. इसमें भी तारतम्य की गड़बड़ी रहती है सो अलग. यह कहने की जरुरत नहीं कि अच्छे विद्यार्थी का यह अनुपात यकीनन बेहतर होता है और तारतम्य भी. तो अब सवाल उठता है कि "3 आर" अनुपात को अच्छे ढंग से साधने के लिए वास्तव में क्या करना चाहिए?

पहले तो तन्मयता से पढ़ने की आदत डालनी चाहिए. तन्मयता से पढ़ने का मतलब यह है कि आप जब पढ़ने बैठते हैं, उस समय पूरे मनोयोग से आप उस चैप्टर को पढ़ें. पढ़ते वक्त आपका ध्यान आप जो पढ़ रहे हैं, मुख्यतः उसपर रहे. कोई भी दूसरा काम आपके ध्यान को बाधित नहीं कर पाए. कहने का अभिप्राय यह कि महाभारत में वर्णित श्रेष्ठ धनुर्धर पांडव पुत्र अर्जुन की तरह एकाग्रचित्त हो कर कार्य करें. अगर दो घंटे लगातार पढ़ने का मन बनाकर बैठते हैं तो उन दो घंटों में मोबाइल को साइलेंट मोड में कर लें और उसे पढ़ाई के टेबल से दूर रखें. ऐसे ही दूसरे अवरोधों से बचें. पढ़ने के लिए सुबह का समय कई कारणों से बेहतर माना जाता है. देखा गया है कि शाम तक जो विद्यार्थी दिनभर के लिए निर्धारित पढ़ाई कर लेते हैं, उन्हें रात में नींद भी अच्छी आती है. कारण सोने से पहले वे तनावमुक्त रहते हैं. इसके विपरीत दिनभर दूसरे क्रियाकलाप में व्यस्त रहनेवाले विद्यार्थी के लिए देर रात तक पढ़ने का प्रेशर रहता है, जब कि दिनभर के कार्य से शरीर थका रहता है और आराम खोजता है. ऐसे विद्यार्थियों के अस्वस्थ होने की संभावना भी ज्यादा रहती है. इसके अलावे एक और बात का ध्यान रखना लाभदायक होता है. शोरगुलवाले स्थान से अलग शांत माहौल में पढ़ने से एकाग्रता में खलल नहीं पड़ता है, फलतः चीजों को समझना और याद रखना आसान होता है. इस तरह एक बार विषय पर फोकस करके पढ़ने की आदत हो जाती है तो फिर आगे उसे जारी रखना आसान भी होता जाता है. 

पढ़ी हुई बातों को दिमाग में संजो कर रखने का अर्थ है कि वे बातें आपके दिमागी हार्ड डिस्क में ठीक से अंकित हो जाय. इसके लिए अपने दिमाग को उन बातों के स्वागत के लिए तैयार करने की जरुरत होती है. पढ़ी हुई बातों को दिमाग में अच्छी तरह सहेज कर रखना बहुत फलदायी साबित होता है. इससे जब भी जरुरत हो वह हमारे दिमागी स्क्रीन पर तुरत दिखने लगता है. कहते हैं "प्रैक्टिस मेकस ए मैन परफेक्ट" अर्थात अभ्यास आदमी को पूर्णता प्रदान करता है. जिन चीजों को तन्मयता से एक बार समझ पढ़ा-समझा, उसे छोटे-छोटे अंतराल में अगर फिर पढ़ और समझ लिया जाय, बिना देखे फिर उसको लिखने का अभ्यास कर लें, किसी दूसरे को वही बातें बता दें, पढ़ा दें, सिखा दें, तो यकीन मानिए आपके दिमाग में वह दृढ़ता से अंकित हो जाता है. कविवर वृंद ने सही कहा  है कि "करत-करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान." लिखने के सतत अभ्यास से आपको यह भी पता चल जाता है कि एक प्रश्न का उत्तर लिखने में कितना समय लगता है, जिससे कि परीक्षा के समय सब कुछ बेहतर ढंग से संपन्न हो सके. 

अब बात करते हैं किसी भी परीक्षा में अपेक्षानुसार या तैयारी के अनुरूप परफॉर्म करने की यानी पढ़ी और समझी हुई बातों की बुनियाद पर प्रश्नों का उत्तर लिखने की. इसके लिए पहले तो आपको शारीरिक एवं मानसिक रूप से संयत, संतुलित और शांत रहने की आवश्यकता होगी. अंतिम समय में पढ़कर या रटकर कुछ बेहतर हासिल करने की कवायद इच्छित फल नहीं देता है. इसके उलट ज्यादातर मामलों में आपका कनफूजन बढ़ जाता और साथ में उत्तेजना भी. परिणामस्वरूप, पहले जो कुछ अच्छे से पढ़ा है, उसे भी याद रखना मुश्किल लगने लगता है. फिर तो परीक्षा हॉल में नियत समय में सारे प्रश्नों का उत्तर देना नामुमकिन हो जाता है, जब कि प्रश्नों का उत्तर आपको मालूम होता है. इसलिए हर विषय की परीक्षा से पहली रात को जल्दी सो जाएं, 10 बजे से 11 बजे के बीच. सबेरे उठकर कर सामान्य दिनचर्या पर अमल करें. परीक्षा सेंटर पर समय से थोड़ा पहले पहुंचें. प्रश्नपत्र मिलने पर सभी प्रश्नों को पहले अच्छी तरह पढ़ें और हर प्रश्न के उत्तर पर कितने अंक मिलेंगे उस पर ध्यान देकर समय प्रबंधन की रुपरेखा बना लें. इसमें सभी प्रश्नों का जवाब लिखने के बाद अंत में 10-15 मिनट का समय रिवीजन के लिए रखें. अब उन सवालों को हल करते चलें जिन्हें कम समय में कर सकते हैं. जैसे-जैसे आप सवाल हल करते जायेंगे, आपका आत्मविश्वास बेहतर होता जाएगा और साथ में आपका दिमागी कंप्यूटर ज्यादा प्रभावी ढंग से काम भी करने लगेगा. रिप्रोडक्शन प्रक्रिया बेहतर होगी और अंतिम परिणाम भी. 
                                                                                     (hellomilansinha@gmail.com) 
                    और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
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