Tuesday, February 5, 2019

मोटिवेशन : प्लान करके चलें, सपनों को साकार करें

                                                                     - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर...
स्कूल, कॉलेज और  यूनिवर्सिटी में आपने भी शिक्षकों को यह कहते सुना होगा कि बेहतर परिणाम पाना चाहते हैं तो प्लान करके चलें. यही बात कॉरपोरेट जगत में बॉस और विशेषज्ञों भी कहते पाए जाते हैं. किसी खास समय जैसे कि इम्तिहान के वक्त हर विद्यार्थी आम दिनों से कुछ ज्यादा प्लान करके चलता है. बुद्धिमान और अच्छा रिजल्ट करनेवाले तो सामान्य  तौर पर बराबर ही प्लान करके चलते हैं. सच कहें तो प्लानिंग उनके दैनंदिन जिन्दगी का अभिन्न अंग हो जाता है; आदत का हिस्सा बन जाता है. वे इसके लिए हमेशा जागरूक रहते हैं. कल कौन-कौन से काम कब और कैसे करना है, उसे वे पहले से ही सूचीबद्ध कर लेते हैं और कमोबेश उसी के अनुसार कार्य संपादित करते हैं. उन्हें आप कदाचित ही फायर फाइटिंग मोड में देखेंगे. जब कि प्लान करके नहीं चलनेवालों को आप अधिकतर समय फायर फाइटिंग मोड में ही पायेंगे अर्थात घर में आग लग जाने पर उसे बुझाने के लिए भागमभाग करना, हो-हल्ला मचाना, अस्त-व्यस्त रहना. ऐसे लोग कम सफल और कम उत्पादक तो होते ही हैं, अनावश्यक तनाव में भी रहते हैं. और सभी जानते हैं, बराबर तनाव में रहना सेहत के लिए बिलकुल ही ठीक नहीं. इसके बहुआयामी दुष्प्रभाव हैं.

अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों की प्लानिंग से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. कैसे सब कुछ निर्धारित समय में पूरी सूक्ष्मता एवं गुणवत्ता के उच्चतम मानकों के साथ होता है जिससे काउंट डाउन ख़त्म होते ही अन्तरिक्ष यान अपने गंतव्य की ओर चल पड़ता है. कितनी प्लानिंग से सब कुछ आगाज से अंजाम तक पहुंचाया जाता है; एक बड़ी टीम में कितने लोग किस तरह प्लान करके चलते हैं कि एक नियत तिथि को सब कुछ सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता है. वास्तव में,  हर प्रोजेक्ट प्लानिंग अपने आप में एक अनोखी एवं विचार समृद्ध प्रक्रिया होती है.

बेंजामिन फ्रैंकलिन कहते हैं, ‘अगर आप प्लान करने में असफल रहते हैं तो आप वाकई असफल होने का प्लान कर रहे हैं.’ सपनों को साकार करने के लिए तथा अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमारे युवा जितनी मेहनत और लगन से लगे रहते हैं, उन्हें फ्रैंकलिन की बात की अहमियत अच्छी तरह समझने की आवश्यकता है. 

हम यह सब जानते और मानते हैं कि जहां भी संसाधनों की किल्लत रहती है, चाहे वह समय, उर्जा, धन, अवसर, मशीन, श्रमिक आदि ही क्यों न हो, वहां प्लान करके चलना निहायत जरुरी है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब भी, जहाँ भी सीमित संसाधनों से एक नियत समयावधि में किसी भी कार्य को संपन्न करने की चुनौती होती है, तब-तब योजना की अनिवार्यता और स्पष्ट होती है. लेस्टर राबर्ट बिटल तो  कहते हैं, ‘अच्छी योजना अच्छे निर्णय का द्योतक है जिससे सपनों को साकार करना आसान हो जाता है.’ 

युवाओं के साथ -साथ यह बात नौकरी पेशा लोगों सहित उन सब पर लागू होता है, जो सहज और सुचारू ढंग से अपने दैनंदिन जीवन में अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं. यह तब और अहम हो जाता है जब प्रतिस्पर्धा के इस युग में युवाओं को कई बार मल्टी-टास्किंग से रूबरू होना पड़ता है यानी एक साथ एकाधिक कार्य करने का प्रेशर होता है. तभी तो प्रसिद्ध फुटबॉल कोच पॉल ब्रायंट कहते हैं, ‘योजना बनायें, उसे ईमानदारी से अमल में लायें और फिर देखें कि आप कितने सफल हो सकते हैं. अधिकतर लोगों के पास कोई योजना नहीं होती. इसी कारण उन्हें हराना आसान  होता है.’ 

तो प्रश्न यह है कि विद्यार्थी इम्तिहान के इस मौसम में कैसे प्लान करें कि वे अपेक्षा के अनुरूप परीक्षा में परफॉर्म कर सकें ? 

परीक्षा से पहले अब जितना दिन बचा है और किसी दो विषयों की परीक्षा के बीच जो अंतराल है, उस दौरान जितना घंटा मिलता है, सबको जोड़ लें. अब उसमें से सोने के औसतन 7-8 घंटे तथा अन्य दैनिक दिनचर्या के लिए 3-4 घंटे  रोज के हिसाब से निकालने के बाद जितने घंटे बचते हैं, उसे विषय विशेष की जरुरत के मुताबिक़ आबंटित कर उस प्लान पर अमल करना शुरू करें. इस प्लान में कुछ घंटे खाली भी रखें यानी प्लान में थोड़ा लचीलापन रखें जिससे कि सभी विषयों पर यथोचित ध्यान दिया जा सके. ऐसे बनाए गए प्लान को पहले दो -तीन तक अमल में लाने के बाद आपकी  शारीरिक घड़ी एवं मन-मानस इस प्लान से एडजस्ट हो जाती है. फिर तो आगे उस प्लान के अमल से होनेवाले फायदे आपको खुद पता चलने लगते हैं और आपके उर्जा, उत्साह और उमंग में उछाल स्वतः आता रहता है. निःसंदेह, प्लान करके चलने की मानसिकता परीक्षा हॉल में भी आपको बहुत लाभ पहुंचाता है.  
                                                                                       (hellomilansinha@gmail.com)   
                 और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
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