Tuesday, December 19, 2017

आज की बात : ठण्ड में संबंधों की गर्माहट

                                                          - मिलन सिन्हा 
प्याज-लहसुन-अदरख-नींबू आदि बेचनेवाले कलीम की दुकान में आज भीड़ कम है. जाड़े का शुरूआती दौर है. सुबह हल्की बूंदा-बांदी हुई है, सो ठण्ड थोड़ी ज्यादा है. बेशक प्याज का भाव गर्म है, 60 रूपये प्रति किलोग्राम. बाएं हथेली में खैनी (देशी तम्बाकू) दबाये उसने छोटी टोकरी आगे बढ़ा दिया, प्याज चुनकर रखने के लिए. 

प्याज चुनते हुए मैंने पूछा कि आखिर इस मौसम में इतनी मेहनत करने की क्या जरुरत है?

बच्चों -परिवार के भले के लिए, उनके भविष्य के लिए - कलीम ने झट उत्तर दिया.

लेकिन वे लोग तो जल्दी ही सड़क पर आ जायेंगे, आप कितना भी कुछ कर लो - मैंने उसकी आँख में आँख  डालकर कहा.

सुबह-सुबह ऐसा क्यों बोल रहे हैं आप ? ऐसा क्यों होगा ? - कलीम ने नाराज होते हुए पूछा.

कैंसर का नाम सुना है? आज नहीं तो कल तुम कैंसर के शिकार होगे और फिर सोचो तुम्हारा क्या होगा? न कमाने लायक रहोगे और न ही तुम्हारी थोड़ी-बहुत बचत से बहुत कुछ हो पायेगा? बस इस खैनी खाने के कारण! क्यों खाते हो इस जहर को ?- मैंने एक सांस में सब कुछ कह दिया.

आदत हो गयी है, क्या करें? आप बिलकुल ठीक कहते हैं. लीजिये, आज से, अभी से इसे छोड़ता हूँ -  इतना कह कर कलीम ने खैनी को दूर फेंका. फिर मेरे लिए प्याज तौलने लगा.

इस दौरान  मैंने कैंसर के विषय में उसे और कुछ बताया. स्वास्थ्य पर खैनी- तम्बाकू आदि के विभिन्न गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में बताया और यह भी कहा कि मैं दो-तीन दिन बाद फिर देखूंगा कि उसने खैनी खाना फिर शुरू तो नहीं कर दिया. 

न जाने मेरी बातों का क्या असर हुआ कि कलीम ने मुझसे न केवल यह वादा किया कि वह अब कभी खैनी नहीं खायेगा बल्कि हमारे सामने ही खैनी के चुनौटी ( छोटा डब्बा) को बहुत दूर फेंक दिया. 
    
सच कहूँ आपलोगों से, तब से मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

कलीम आप स्वस्थ रहो, बहुत उन्नति करो. तुम्हारे पूरे परिवार को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. और हाँ, अपने आसपास किसी को खैनी खाते देखो, तो उसे भी बताना, टोकना... ....            (hellomilansinha@gmail.com)

                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

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