Saturday, February 4, 2017

लघु कथा : वास्तविकता

                                                                  - मिलन सिन्हा 
clipकुमार साहब एक नामी  वकील थे. जब वे अदालत में जाते तो अपनी दलीलों से सबको निरुत्तर कर देते.

आज वकील साहब ने दहेज़ के खिलाफ  जोरदार दलीलें प्रस्तुत की . जज साहब सहित न्यायालय में उपस्थित सारे लोग वकील साहब के तर्कों से अभिभूत थे. 

बाहर निकलते ही उनके मुवक्किल प्रसाद जी ने उन्हें ख़ुशी –ख़ुशी एक हजार रूपये दिए. वकील साहब ने पैसे रख लिए और फिर प्रसाद जी  को अलग ले जाते हुए कहा, ‘भैया, आप मुझे परसों तक पचास हजार रूपये उधार दे सकते हो ? बड़ा  जरुरी काम है .

‘हाँ, हाँ , वकील साहब. पचास हजार क्यों, और भी रुपये की जरुरत हो तो ले लीजिये......’ प्रसाद जी ने निःसंकोच जवाब दिया .

पूरी रकम के साथ प्रसाद जी दूसरे ही दिन शाम को वकील साहब के घर पहुंच गए . कुमार साहब बाहर बरामदे में चिंतामग्न बैठे थे. प्रसाद जी को देख कर उन्होंने दूसरी कुर्सी मंगवाई. चाय के लिए भी कहा. प्रसाद जी ने रूपये वकील साहब को दे दिए. फिर कुछ सहमते हुए पूछ ही लिया, ‘जनाब, आपको पहले कभी इतना चिंताग्रस्त नहीं देखा है. सब खैरियत तो है ?

वकील साहब के चेहरे पर एक अजीब- सा भाव साफ़ उभर आया. धीरे से कहा उन्होंने, ‘प्रसाद जी, जानते हैं, ये रूपये मैं आपसे क्यों उधार  ले रहा हूँ ? नहीं  न ! दहेज़ के लिए ! कल देना है मुझे दहेज़ की पूरी रकम, तब जाकर कहीं मेरी बेटी की शादी की तिथि तय हो पायेगी.’

चाय आ चुकी थी, पर प्रसाद जी सुन्न बैठे रहे कुछ देर. फिर चुपचाप उठकर चले गए .
  
               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय अखबार 'प्रभात खबर - "सुरभि " में  22 जनवरी , 2017 को प्रकाशित 

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