- मिलन सिन्हा
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
सच ही कहते हैं, दिनभर की सक्रियता, व्यस्तता व भाग-दौड़ के बाद रात में सोना चाहें, पर नींद न आये तो इससे बड़ी परेशानी क्या हो सकती है। करवटें बदलते हुए रात गुजारने वाले लोगों से पूछ कर देखें। गंभीर चिंता वाली बात तो यह है कि इस तरह की परेशानी से जूझने वाले लोगों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है। तमाम शोध एवं सर्वे बताते हैं कि नींद सम्बन्धी समस्याओं से ग्रसित अनेक लोग शराब या नींद की गोली का सेवन करते हैं। हम जानते हैं कि हमारी धरती माता के सूर्य की परिक्रमा के अनुरूप प्रतिदिन चौबीस घंटे के दौरान हमारी जैविक घड़ी में दिन का समय शारीरिक- मानसिक कार्यकलाप के लिए मुकर्रर है, तो रात का समय आराम एवं नींद के लिए। लेकिन आर्थिक उदारीकरण के इस तेज रफ़्तार युग में क्या हम रात के वक्त सात से आठ घंटे सो पाते हैं, जो हमारे लिए अनिवार्य है? चिकित्सा विज्ञान कहता है कि रात में अपर्याप्त नींद के कारण हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है। ऐसे लोगों का स्ट्रेस हॉर्मोन्स काफी बढ़ जाता है जिसके चलते वे उच्च रक्तचाप व उससे जुड़े एकाधिक रोगों की चपेट में आ जाते हैं। दरअसल, नींद हमारी जरुरत नहीं, आवश्यकता है। नींद के दौरान शरीर रूपी इस जटिल, किन्तु अदभुत मशीन की रोजाना सफाई -रेपियरिंग आदि होती रहती है। तभी तो दिनभर की थकान, रात की अच्छी नींद से काफूर हो जाती है और हमारी सुबह पुनः भरपूर ऊर्जा, उत्साह एवं उमंग से भरी हुई महसूस होती है। सच पूछिये तो नींद प्राणी मात्र की जिन्दगी में सुख का बेहतरीन समय होता है। हां, अच्छी नींद के लिए जीवन के प्रति आपके सकारात्मक सोच एवं दिनभर के कार्यकलाप के अलावे आपके कमरे की हालत, बिछावन की गुणवत्ता, रात का खान-पान आदि का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। ज्ञातव्य है कि अच्छी नींद को अनेक चिकित्सा विशेषज्ञों ने दवाइयों का महाराजा तक की उपाधि दी है। विलियम शेक्सपियर ने भी अपनी प्रसिद्ध कृति 'मैकबेथ' में नींद की अहमियत को बखूबी रेखांकित किया है।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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