Friday, May 28, 2021

प्रकृति, प्रवृति और प्रगति

                      - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

छात्र-छात्राएं इन तीन शब्दों - प्रकृति, प्रवृति और प्रगति पर थोड़ा गहराई से विचार करेंगे तो  उन्हें इन शब्दों की महत्ता और आपसी जुड़ाव का पता चलेगा. उनके जीवन में इनकी कितनी अहमियत है, इसके विषय में जानकर उन्हें बहुत अच्छा लगेगा और विस्मय भी होगा. 

  
प्रकृति और हमारा रिश्ता बहुत गहरा और स्वाभाविक है. सभी विद्यार्थी जानते हैं कि
हमारा यह शरीर पंच तत्वों - आकाश, जल, वायु, अग्नि और धरती का समेकित लघु रूप है. यह कहना  गलत नहीं होगा कि हम सभी प्रकृति की  संतान हैं. यही कारण है कि मूल रूप से प्रकृति के सभी गुण हममें विद्यमान हैं. मानव जाति के निरंतर विकास के पीछे प्रकृति की बहुत अहम भूमिका है. हम सबके के लिए धरती घर का आंगन है तो आकाश  उस घर का छत,  चांद, सूरज आदि  प्रकाश और ऊर्जा के स्त्रोत हैं तो नदी, झील, सागर आदि मनुष्य को जलयुक्त रखने के माध्यम और पेड़-पौधे प्राणवायु और आहार के साधन हैं. विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तु का कहना है कि प्रकृति की सभी चीजों में कुछ ना कुछ अद्भुत है. आप उससे जितना जुड़ेंगे, आपको इसका उतना ही ज्ञान होगा. सभी ज्ञानीजन बराबर कहते हैं कि प्रकृति हर वक्त हमारे लिए अभिभावक, मार्गदर्शक और दोस्त का रोल अदा करती रही है. लेकिन क्या हम प्रकृति का उचित सम्मान करते हैं, उसकी अहमियत को ठीक से समझते हैं? ऐसा प्रतीत होता है कि तथाकथित आधुनिकता के प्रभाव या कतिपय अन्य कारणों से प्रकृति प्रदत्त हमारे ये गुण या तो कमजोर होते जाते हैं या हम उन्हें जाने-अजनाने अपने व्यवहार में शामिल नहीं कर पाते हैं. फलतः इसका बहुत नुकसान हम सबको उठाना पड़ता है. यकीनन, विद्यर्थियों के लिए यह बहुत ही अहम विचारणीय विषय है. 


हम सब जानते हैं कि व्यक्ति की जैसी प्रवृति होती है, वह वैसा ही काम करता है. चोर की प्रवृति दूसरे का सामान चुराने की होती है, सो वह चोरी के काम करता है. इसके विपरीत किसी साधु या अच्छे व्यक्ति को देखें तो वह अपनी अच्छी प्रवृति के अनुरूप बराबर अच्छे  व समाजोपयोगी कार्य में लगा रहता है. अल्बर्ट आइन्स्टीन कहते हैं, "प्रवृत्ति की कमजोरी चरित्र की कमजोरी बन जाती है." यह भी सौ फीसदी सच है कि व्यक्ति की प्रवृति पर प्रकृति के सानिद्ध का गहरा व सकारात्मक असर होता है. प्रकृति की प्रवृति  देने की होती है, अनुकूल और प्रतिकूल प्रतीत होनेवाले समय में भी हंसते हुए संघर्षरत रहने और  हार नहीं मानने की होती है. सब जानते हैं कि पेड़ अपना फल खुद नहीं खाता है. फल और फूल से अत्यंत संपन्न होने के बावजूद भी पेड़ की प्रवृति में न तो अहंकार का भाव रहता है और न ही दूसरों को हानि पहुंचाने का. क्या सभी छात्र-छात्राएं देने की भावना रखते हैं और वाकई उसे दैनंदिन जीवन में अमल में लाते हैं? एक बार आंख बंद कर सोचें कि पिछले एक साल में उन्होंने कितने साथियों-सहपाठियों-परिजनों-पड़ोसियों की किसी-न-किसी रूप से मदद की है. पैसे से मदद करने के अलावे भी लोगों की सहायता करने के अनेक तरीके हैं. कोरोना महामारी के  प्राइम टाइम में फिल्म अभिनेता सोनू सूद द्वारा मजदूरों और उनके परिजनों की हरसंभव सहायता करने का उदाहरण सबके सामने है. श्री राम को शिक्षा प्रदान करने के क्रम में महर्षि वशिष्ठ कहते हैं कि जो मनुष्य  प्रकृति के साथ अपनी प्रवृत्ति को जोडक़र जीवन जीता है, वही सच्चे मायने में जीवन में सफल होता है.   

   
प्रगति एक डायनामिक प्रोसेस है, एक निरंतर यात्रा. मानव जाति का इतिहास प्रगति का दस्तावेज है. हर विद्यार्थी में एकाधिक विशेषताएं होती हैं और सभी विद्यार्थी जीवन में प्रगति करना चाहते हैं. अपनी-अपनी  विशेषताओं का सदुपयोग करते हुए शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को निरंतर बेहतर बनाने का उनका प्रयास इस बात को सिद्ध करता है. यह सही और जरुरी भी है. लेकिन प्रगति का सही अर्थ क्या है? क्या दूसरे को कुचलते हुए, उनका शोषण करते हुए, उन्हें धोखा देते हुए आगे बढ़ना क्या प्रगति का सूचक हो सकता है? कदापि नहीं.  प्रगति की सही परिभाषा तो यह है कि छात्र-छात्राएं  इस लोकतांत्रिक और समावेशी विचार के साथ आगे बढ़ने  की कोशिश करते रहें, जिसमें "सबका साथ, सबका विकास" की भावना शमिल हो? कहने का आशय यह कि प्रकृति की संरचना और उसके कार्यशैली को ठीक से समझते हुए विद्यार्थीगण  अपनी प्रवृति को सदैव मानवीय और सकारात्मक रखने का प्रयास करते रहें  तो जीवन में प्रगति पथ पर बढ़ते रहना आसान हो जाएगा और अत्यंत आनंददायक भी.  

  (hellomilansinha@gmail.com)      

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 28.02.2021 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com 

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