- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
आजकल परीक्षा और स्ट्रेस में घनिष्ठ रिश्ते की झलक अनायास ही मिल जाती है. स्कूल-कॉलेज की परीक्षाओं के साथ-साथ प्रतियोगिता परीक्षाओं का दौर प्रारंभ हो चुका है. अधिकतर छात्र-छात्राएं तनाव से गुजर रहे हैं. सब जानते हैं की तनाव शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. ऐसे में विद्यार्थियों की तैयारी दुष्प्रभावित होना स्वाभाविक है और परिणामस्वरूप उनका रिजल्ट भी. लेकिन समस्या है तो समाधान भी है और कहते हैं न "मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए और अपने मन को मना लीजिए." आइए, आज पांच ऐसे आसान उपायों की चर्चा करते हैं, जिससे परीक्षा के दौर में विद्यार्थियों के लिए स्ट्रेस फ्री रहना संभव होगा.
1. तनाव का सीधा संबंध हमारी सोच से है. माइंड मैनेजमेंट से है. खुद पर भरोसा और पॉजिटिव सोच रखेंगे तो सब कुछ पॉजिटिव दिखेगा और होगा भी. हमारा मेटाबोलिज्म और इम्यून सिस्टम भी बेहतर रहेगा. लिहाजा, कुछ भी हो जाए हमेशा पॉजिटिव नजरिया बनाए रखें. हां, स्ट्रेस का कारण कागज़ पर लिखें और अपने हिसाब से संभावित समाधान भी लिखें. अधिकतर मामलों में यह पाया गया है कि दिमाग से उतरकर कागज़ पर लिखते ही तनाव के कारण बहुत हल्के नजर आते हैं और समाधान भी मिल जाते हैं. सदा यह भी याद रखें कि परेशानी-समस्या सबके जीवन में आती-जाती रहती है. बस संयम और शांति से जो भी कर सकते हैं करते रहें. इससे लाभ मिलेगा.
2. तनाव को मैनेज करने में सही रूटीन की बड़ी भूमिका होती है. दिनभर के 24 घंटे में से रात की नींद के 7-8 घंटे अलावे स्नान-भोजन आदि के लिए उचित समय छोड़कर बाकी के समय को विषयवार नियत कर उसका पूरा सदुपयोग करें. भोजन पौष्टिक और सुपाच्य हो, इसका ध्यान रखें. सोशल मीडिया से इस समय दूर ही रहें तो बेहतर होगा. मोबाइल का उपयोग भी न्यूनतम हो तो अच्छा. हां, बहुत जरुरी हो तो बस अपने ज्ञानवर्धन और जरुरी कार्यकलाप को सुगम बनाने के लिए ही इनका उपयोग करें. इससे आपका समय बचेगा और तनाव घटेगा. दिन की अच्छी शुरुआत और उसका समापन स्ट्रेस को कम करने में बहुत कारगर साबित होता है. इसके लिए सुबह-सुबह शरीर को अच्छी तरह जल और ऑक्सीजन युक्त कर लेना जरुरी है. इससे शरीर स्वच्छ और रक्त संचरण बेहतर होता है. उसी तरह सोने से पहले पॉजिटिव माइंडसेट में रहना अच्छी नींद के लिए जरुरी है. अच्छी नींद अपने-आप में मानसिक तनाव का बेहतरीन समाधान है. परिजनों के साथ कुछ क्वालिटी और हैप्पी टाइम बिताने से भी स्ट्रेस काफी घटता है.
3. अतीत या भविष्य में जीने के बदले आज यानी प्रेजेंट में जीना सीखें. अबतक क्या नहीं पढ़ पाए, इसके बजाय आज और आगे क्या पढ़ सकते हैं, इसपर ध्यान केन्द्रित करें. हाँ, जब भी मन अतीत की बातों को सोचकर दुखी हो रहा हो या भविष्य के प्रति दुश्चिंता या आशंका हो तो तुरत मन को प्रेजेंट में लाएं और किसी पॉजिटिव एक्टिविटी में व्यस्त हो जाएं. अभी तो बस अपने रूटीन को फॉलो करते हुए अपनी पॉजिटिव एक्टिविटी को बढ़ाना बहुत जरुरी है.
4. दोस्त या सहपाठी या कोई अन्य व्यक्ति जो कुछ कहें, बस एक बार उनकी बात शांति से सुन लें. उनकी अच्छी बात की प्रशंसा जरुर करें. अपने फायदे का जो कुछ हो उसे ग्रहण कर लें. अन्यथा इग्नोर करें. कहने का आशय यह कि आलोचना से विचलित न हों. अतिरेक-आवेग-उत्तेजना में जवाब न दें. इससे कोई लाभ नहीं होता है. विवाद और मानसिक तनाव जरुर बढ़ता है.
5. हर विद्यार्थी अनोखा है. क्षमता का किसी में अभाव नहीं. अतः न तो किसी से अपनी तुलना करें और न ही प्रतिस्पर्धा. बस दृढ़ संकल्प और स्पष्ट लक्ष्य के साथ अपने कर्मपथ पर चलते रहें. अच्छी बातें दूसरों से सीखें जरुर, पर किसी से अपनी तुलना करके मन दुखी न करें. प्रतिस्पर्धा के बजाय अनुस्पर्धा करें. कल से बेहतर आज कैसे परफॉर्म कर सकते हैं, इस पर बस महान धनुर्धर अर्जुन की तरह फोकस करते हुए अध्ययन में मन लगाएं.
अंत में एक और बात. कभी अचानक बहुत स्ट्रेस फील हो, तो फ़ास्ट रिलीफ के लिए स्ट्रेस वाले स्थान से अलग किसी खुले जगह पर चले जाएं; कहीं बैठ जाएं और दो मिनट तक दीर्घ श्वास लें और अपने श्वास को आते-जाते महसूस करें; फिर आंख बंद कर थोड़ा पानी धीरे-धीरे सिप करें. लेमन टी या चाकलेट मिले तो एन्जॉय करें; आराम से बैठकर 100 से शून्य तक उल्टी गिनती करें. अच्छा महसूस हो तो दुबारा करें और अपने माता-पिता, शिक्षक-मेंटर या काउंसेलर से बात करें.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.
# "हिन्दुस्थान समाचार समूह" की पाक्षिक पत्रिका "यथावत" में प्रकाशित
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