- मिलन सिन्हा
हम सब चाहते हैं जिन्दा रहना और वो भी बिंदास, है न ! लेकिन, जिन्दा रहने के लिए पांच मूलभूत चीजों - रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ हमें जिन्दा दिल भी तो रहना चाहिए, अन्यथा बाकी सारी चीजें बेमजा व बेमानी लगेंगी। तो अब सवाल यह है कि जिंदादिल रहें कैसे ? जवाब सीधा और सरल है - दिल को स्वस्थ रखें, धड़कने दें अच्छी तरह। दुनिया में किसी के साथ बेशक दिल्लगी करने का जोखिम उठा लें, परन्तु अपने दिल के साथ दिल्लगी? तौबा, तौबा! कहने का अभिप्राय यह कि दिल को कायदे से सम्हालना होगा, नहीं तो दिल बीमार भी पड़ सकता है।
ज्ञातव्य है कि दिल का दौरा पड़ने से मरनेवालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। युवाओं का एक बड़ा तबका भी दिल के रोग का शिकार हो रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। दुनिया के 60 % ह्रदय रोगी भारत में हैं। इसी कारण हमारे देश को ह्रदय रोग की विश्व राजधानी कहा जाता है - हर साल देश में 30 लाख से ज्यादा लोग इस रोग के कारण मारे जाते हैं।
वास्तव में इसके एकाधिक कारण हैं जिसमें दो बहुत अहम हैं। पहला, इस रोग से जुड़ी सामान्य जानकारी तक से अनभिज्ञ रहना और दूसरा, हमारी तथाकथित आधुनिक जीवनशैली !
कारण के बाद निवारण की चर्चा करें तो दो बातों पर अमल करना बहुत लाभकारी होगा।
कारण के बाद निवारण की चर्चा करें तो दो बातों पर अमल करना बहुत लाभकारी होगा।
1) पूरी जागरूकता के साथ अपनी दिनचर्या में निष्ठापूर्वक कुछ बातों, जैसे संतुलित आहार, मॉर्निंग वाक/ व्यायाम, प्राणायाम, सकारात्मक सोच, अच्छी संगति, पर्याप्त नींद आदि को साधना।
2) किसी भी शंका-आशंका की अवस्था में अविलंब डॉक्टरी सलाह लें और परीक्षण, उपचार आदि करवाएं।
इससे न केवल हमारे दिल की सेहत बेहतर रहेगी, बल्कि हमारा जीवन भी सुखमय बना रहेगा।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# 'प्रभात खबर' के मेरे संडे कॉलम, 'गुड लाइफ' में 04.05.14 को प्रकाशित
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