Tuesday, March 4, 2014

मोटिवेशन : जल का फल

                                                              -मिलन सिन्हा 
आपने भी सुना होगा, सोचा और कहा भी होगा- जल ही जीवन है; जल नहीं तो कल नहीं; हमारे शरीर में 60% जल है; हमारी पृथ्वी पर 71% जल है; जल चक्र पर हमारा बहुत कुछ निर्भर है  आदि, आदि। बिल्कुल सही। बहरहाल,मानव स्वास्थ्य से जल के अदभुत रिश्ते की थोड़ी गहरी विवेचना करने पर पायेंगे  कि मनुष्य जितनी बिमारियों से ग्रसित होते हैं,  उनमें जलजनित बिमारियां 60% से ज्यादा हैं।और ऐसे  बीमार लोगों को जल चढ़ाते हुए देखना भी किसी अस्पताल-नर्सिंग होम का आम दृश्य है, क्यों ?  

सभी जानते हैं कि हमें रोजाना 3-4 लीटर पानी पीना चाहिए। हाँ, पीना चाहिए, गटकना नहीं। पीने का अर्थ है धीरे -धीरे जल ग्रहण करना और वह भी बैठ कर आराम से। इतना ही नहीं, हम कब -कब और कितना पानी पीते हैं, इसका भी हमारे सेहत से गहरा ताल्लुक है। रोज सुबह ब्रश करने के बाद कम से कम आधा लीटर गुनगुना पानी पीना हमारे अंदरूनी सफाई के लिए बहुत कारगर है। अगर इस सफाई प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना है तो गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़ लें। ऐसे, सुबह पानी पीने के अन्य अनेक फायदे हैं।विशेषज्ञ यह भी कहते हैं  कि खाने के तुरत पहले, खाने के बीच में और खाने के तुरत बाद पानी नहीं पीना चाहिए, क्यों कि इससे पाचन क्रिया दुष्प्रभावित होती  है। 

जानकार बताते हैं, शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, हम  उतना ही स्वस्थ रहेंगे। खासकर रात में सोने से पूर्व पानी अवश्य पीना चाहिए, इससे हार्ट व ब्रेन स्ट्रोक की संभावना कम हो जाती है। मानसिक तनाव हो तो पानी के दो चार घूंट भी सकून का एहसास करवाता है। सार-संक्षेप यह कि दूसरों को 'पानी पिलाने' के मुहावरे को चरितार्थ करने के बजाय खुद पानी पीने की कला में पारंगत होना हर दृष्टि से गुड लाइफ की गारंटी देता है।


                      और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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