- मिलन सिन्हा
हर साल देश में 30 लाख से ज्यादा लोग इस रोग के कारण मारे जाते हैं। दुनिया के 60 % ह्रदय रोगी भारत में हैं। इसी कारण हमारे देश को ह्रदय रोग की विश्व राजधानी कहा जाता है। वास्तव में इसके एक नहीं अनेक कारण हैं जिसमें एक महत्वपूर्ण कारण इस रोग से जुड़ी सामान्य जानकारी से अनभिज्ञता के साथ-साथ हमारी दोषपूर्ण जीवनशैली है।
हाल ही में ब्रिटेन (यू.के.) में हुए एक नए शोध के मुताबिक़ जाड़े के मौसम में अपेक्षाकृत ज्यादा लोगों को दिल का दौरा पड़ता है। ऐसा पाया गया है कि मात्र 0.67 डिग्री से. तापमान के गिरने पर एक दिन में औसतन 200 ज्यादा लोगों को दिल का दौरा पड़ा।
ज्ञातव्य है कि गर्मी की तुलना में जाड़े के मौसम में 53 % से अधिक दिल के दौरे के मामले प्रकाश में आते हैं। जनवरी में तो यह संख्या जुलाई के अनुपात में दोगुनी हो जाती है।
डॉक्टर बताते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्यों कि ठण्ड के कारण हमारी रक्त धमनियां थोड़ी सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्त प्रवाह दुष्प्रभावित होता है और साथ -साथ धमनियों में खून के थक्के बनने की संभावना भी बढ़ जाती है।
कहने का तात्पर्य यह कि शीतकालीन मौसम में हमें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। बड़े -बुजुर्गों, खासकर दिल की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए तो हर सम्भव एहतियात बरतना नितांत आवश्यक है।ऐसा इसलिए कि बढ़ती उम्र के साथ शरीर के तापमान को यथोचित स्तर पर बनाये रखने की हमारी क्षमता कम होती जाती है। ऐसे में कृत्रिम रूप से शरीर को गर्म बनाये रखना अनिवार्य है।
विटामिन डी की कमी जिसका गहरा सम्बन्ध ह्रदय रोग से है, को धूप का सेवन कर(वो भी मुफ्त में) पूरा कर सकते हैं। खाने -पीने के मामले में भी मौसम के अनुरूप व अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बदलाव अपेक्षित है। किसी तरह की शंका -आशंका की स्थिति में तुरत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
विटामिन डी की कमी जिसका गहरा सम्बन्ध ह्रदय रोग से है, को धूप का सेवन कर(वो भी मुफ्त में) पूरा कर सकते हैं। खाने -पीने के मामले में भी मौसम के अनुरूप व अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बदलाव अपेक्षित है। किसी तरह की शंका -आशंका की स्थिति में तुरत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
# प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :01.12..2013
No comments:
Post a Comment