- मिलन सिन्हा
खून को
पसीना बनाकर
आदमी
आदमी को
खींचता है
पेट के लिए
गरीब
रिक्शा चलाता है
जाड़े की रात में
गर्मी के दोपहर में
फिर
आदमी
रिक्शे पर
क्यों कर चढ़ता है
सुना है
लोहिया
ऐसा कहते थे
सो
रिक्शे पर
कभी नहीं चढ़ते थे
आज के नेता को
परहेज नहीं
पूछने पर
अट्टाहास करते हैं
फिर कहते हैं
आदमी
जानवर को तो
खींच सकता है
इसी कारण
मेरे जैसा नेता
रिक्शे पर
मजे से चढ़ सकता है !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
खून को
पसीना बनाकर
आदमी
आदमी को
खींचता है
पेट के लिए
गरीब
रिक्शा चलाता है
जाड़े की रात में
गर्मी के दोपहर में
फिर
आदमी
रिक्शे पर
क्यों कर चढ़ता है
सुना है
लोहिया
ऐसा कहते थे
सो
रिक्शे पर
कभी नहीं चढ़ते थे
आज के नेता को
परहेज नहीं
पूछने पर
अट्टाहास करते हैं
फिर कहते हैं
आदमी
जानवर को तो
खींच सकता है
इसी कारण
मेरे जैसा नेता
रिक्शे पर
मजे से चढ़ सकता है !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
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