- मिलन सिन्हा
भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ
आजकल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा !
हाल ही में योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने देश में गरीबी 2% कम होने की बात कही है । आप देश में कहीं भी, गाँव, क़स्बा, नगर या महानगर, चले जाएँ आपको एक बड़ा, पर बेहाल भारत और एक छोटा, पर शाइनिंग इंडिया दिख जायेगा। 65 साल के इस आजाद लोकतान्त्रिक देश में,जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जिसके पास प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, जिसके पास खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है , उस देश के लिए क्या यह अत्यंत शर्म की बात नहीं है कि अभी भी करोड़ों लोगों को एक शाम का खाना नसीब नहीं होता है?
देश के सभी सत्तासीन नेताओं ने संविधान का हवाला देते हुए देश के सभी लोगों के लिए रोटी, कपड़ा, मकान की व्यवस्था की बात अपने हरेक चुनाव घोषणा पत्रों में किया है, लेकिन देश में गरीबों की वास्तविक स्थिति कितनी दयनीय है, इसकी झलक निम्नलिखित तथ्यों से मिल जाती है:
- विश्व बैंक के नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार विश्व के कुल गरीब लोगों में से 33% सिर्फ भारत में ही रहते हैं ।
- देश में हर वर्ष 25 लाख से ज्यादा लोग भूख से मरते हैं ।
- औसतन 7000 लोग रोज भुखमरी के शिकार होते हैं ।
- संसार में भुखमरी से मरनेवाले लोगों में भारत पहले स्थान पर है ।
- देश में 20 करोड़ से ज्यादा लोग रोज रात भूखे सो जाते हैं ।
- 85 करोड़ भारतीय 20 रुपया प्रतिदिन की आमदनी पर गुजारा करते हैं ।
उपर्युक्त वास्तविकताओं के बावजूद केंद्र या राज्यों में सत्तारूढ़ राजनीतिक नेतागण देश की द्रुतगामी प्रगति के ढोल पीटने और इस बात पर मजमा/जलसा करके आम जनता के गाढ़ी कमाई का करोड़ों रूपया खर्च करने से बाज नहीं आते। गरीबों की भलाई के नाम पर बैठक दर बैठक का आयोजन पांच सितारा होटलों में या वातानुकूलित सरकारी कक्षों में लगातार चलते रहते हैं। सरकार एवं अन्य संस्थाओं के इन्हीं कार्यकलापों पर कटाक्ष करते हुए प्रसिद्ध रचनाकार दुष्यंत कुमार ने लिखा है :
आजकल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा !
ऐसे में क्या यह उचित नहीं होगा कि समाज के हर उम्र के सारे ऐसे लोग जिन्हें गरीबों के उत्थान से सच्चा लगाव है, मिल कर अपने अपने क्षेत्र के चुने हुए प्रतिनिधियों एवं सरकार से यह आग्रह करे कि सबसे पहले संविधान के प्रावधानों और अपने चुनावी घोषणापत्रों के आलोक में एक निश्चित समय सीमा के भीतर भुखमरी की स्थिति से देश को आजाद करें, तभी देश की आजादी की सार्थकता एक हद तक सिद्ध होगी।
# प्रवक्ता . कॉम में प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवक्ता . कॉम में प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
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