Saturday, April 13, 2013

आज की कविता : कुछ बात बने

                                           - मिलन  सिन्हा
humanity













दुःख में भी सुख  से रह सको तो कुछ बात बने।
पहले खुद को पहचान सको  तो कुछ बात बने।

जानता हूँ , तुम वो नहीं जो तुम वाकई हो
जो तुम हो, वही रह सको तो कुछ बात बने।

माना की दुनिया बड़ी जालिम है फिर भी
जालिम को भी तालीम दे सको तो कुछ बात बने।

आसपास देखोगे तो बहुत कुछ सीखोगे
आपने पड़ोसी को भाई मान सको तो कुछ बात बने।

ऐसा नहीं है कि जो कुछ  है  यहाँ सब कुछ बेवजह है
बेवजह जो है उसकी वजह जान सको तो कुछ बात बने।

न जाने क्या - क्या बन रहें हैं  आजकल लोग
तुम आदमी बनकर रह सको तो कुछ बात बने।

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :06.08.2013

               और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।   

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