Monday, April 1, 2013

आज की कविता : मालूम है


                                       - मिलन  सिन्हा 

      मालूम है

कहां क्या हो रहा है, मालूम है ।
जमाना बदल गया है, मालूम है ।

सही वही है, जो सही नहीं है
मान्यताएं बदल गई हैं, मालूम है ।

अतीत ना मालूम, वर्तमान काला है,
भविष्य उनका उज्जवल है, मालूम है ।

जिन्दगी अनिश्चित है, मौत निश्चित है
दुनिया एक अबूझ  पहेली है, मालूम है । 

अमीरी वरदान है, गरीबी अभिशाप है
समाजवाद सिर्फ एक नारा है, मालूम है । 

अंधे का नाम नयनसुख, बहरे का कर्णप्रिय
किसका दिल कहां गिरवी है, मालूम है । 

पैसा ही साध्य है, पैसा ही साधन है
हर चीज यहां बिकाऊ है, मालूम है ।

शिक्षित बेकार है, कुपढ़ नवाब है 
शिक्षा यहां बस मजाक है, मालूम है ।
 ( 'अक्षर पर्व' के मार्च, 2009  अंक में प्रकाशित) 




          और भी बातें करेंगे,चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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