- मिलन सिन्हा मालूम है
कहां क्या हो रहा है, मालूम है ।
जमाना बदल गया है, मालूम है ।
सही वही है, जो सही नहीं है
मान्यताएं बदल गई हैं, मालूम है ।
अतीत ना मालूम, वर्तमान काला है,
भविष्य उनका उज्जवल है, मालूम है ।
जिन्दगी अनिश्चित है, मौत निश्चित है
दुनिया एक अबूझ पहेली है, मालूम है ।
अमीरी वरदान है, गरीबी अभिशाप है
समाजवाद सिर्फ एक नारा है, मालूम है ।
अंधे का नाम नयनसुख, बहरे का कर्णप्रिय
किसका दिल कहां गिरवी है, मालूम है ।
पैसा ही साध्य है, पैसा ही साधन है
हर चीज यहां बिकाऊ है, मालूम है ।
शिक्षित बेकार है, कुपढ़ नवाब है
शिक्षा यहां बस मजाक है, मालूम है ।
( 'अक्षर पर्व' के मार्च, 2009 अंक में प्रकाशित) और भी बातें करेंगे,चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
|
Monday, April 1, 2013
आज की कविता : मालूम है
Labels:
Poem,
Social Awareness
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment