Tuesday, January 14, 2020

नई राहें: जॉब मार्केट में कैसे रहें डिमांड में?

                                                - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस  कंसलटेंट ...
हम सब जानते हैं कि दुनिया परिवर्तनशील है. उदारीकरण के इस दौर में नौकरी का बाजार भी कई प्रकार के परिवर्तन का गवाह रहा है. पिछले दो-तीन दशकों में  नौकरी पाने को इच्छुक लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग और आपूर्ति का अर्थशास्त्रीय गणित गड़बड़ा गया है. सरकारी  या अर्द्ध सरकारी नौकरी का दायरा सिमटता जा रहा है. अब ज्यादातर नौकरियां निजी क्षेत्र में उपलब्ध हैं. नौकरी का परम्परागत चरित्र भी बदल गया है. अब बहुत कम संख्या में लोग एक संस्थान में नौकरी ज्वाइन करते हैं और वहीँ  से रिटायर यानी सेवानिवृत होते हैं. अब तो नौकरी के बाजार में लोगों को 5-10 साल में तीन-चार नौकरियां  बदलते देखना जैसे आम बात हो गई है, बेशक इस दौरान उन्हें अनिश्चितता और अतिरिक्त तनाव से निबटना पड़ता है. ये सारी  बातें सही हैं. लेकिन इन सब चुनौतियों के बावजूद हमारे देश में आज और भविष्य में भी नौकरी चाहनेवालों और नौकरी करनेवालों की संख्या में न तो कमी आएगी और न ही नौकरी के बदलते मानदंडों और जरूरतों को समझने और साधनेवाले लोगों में कमी होगी. ऐसा इसलिए कि मानव स्वभाव ही चुनौतियों और बदलाव को गले लगाकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाने का रहा है. हां, इसके लिए कुछ बुनियादी बातों को दैनंदिन जीवन में अमल में लाने की आवश्यकता होती है, तभी हम नौकरी हासिल  करने के अलावे जॉब या कैरियर  में ग्रोथ को भी सुनिश्चित कर पायेंगे. आइए, पांच अहम बातों पर चर्चा करते हैं. 

1. स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि सब शक्तियां हममें मौजूद हैं. हम कोई भी काम संपन्न कर सकते हैं. बस खुद पर विश्वास बनाएं रखें. गिरिजा कुमार माथुर की प्रेरक कविता की पहली पंक्ति इसी भाव को रेखांकित करते हुए कहती है कि हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब, मन में है विश्वास, हम होंगे कामयाब. लिहाजा हम खुद पर भरोसा रखें और मन के विश्वास को कभी कमजोर न होने दें. इसके बहुआयामी फायदे हैं. दरअसल, जॉब इंटरव्यू हो या प्रमोशन के लिए साक्षात्कार  या कार्यक्षेत्र में समस्या विशेष का समाधान तलाशने की बात, जॉब नॉलेज के साथ-साथ इसका असर भी हर जगह दिखता है. 
   
2. जीवन में होनेवाले बदलाव से घबराना ठीक नहीं. लम्बी जीवन यात्रा में कुछ बदलाव हमारे कारण होते हैं तो कुछ दूसरों के कारण. कुछ पर हमारा नियंत्रण होगा, कुछ पर कम होगा या बिलकुल नहीं होगा. ऐसा सबके साथ होता है. सफल लोग इन बदलावों को  नए अवसर के रूप में लेते हैं, उनका निष्पक्ष विश्लेषण करते हैं  और तदनुसार  रणनीति बनाकर आगे बढ़ते हैं. सोचिए जरा, सालभर बदलते मौसम के अनुरूप हमारे खान-पान से लेकर पहनावे तक हम कितनी स्वाभाविकता से सब कुछ अंगीकार कर जीवन का आनंद उठाते हैं. कुछ वैसा ही दृष्टिकोण कार्यक्षेत्र में होनेवाले चाहे-अनचाहे परिवर्तनों के प्रति रखें तो कई लाभ होंगे. 

3. सीखने का सिलसिला सदा जारी रखें. बीते हुए कल से आज हमारा कुछ बेहतर हो, इस फलसफे को अमल में लाकर हम खुद को निरंतर उन्नत कर सकते हैं. यह बेहतरी सोच, विचार, व्यवहार, ज्ञानार्जन, स्वास्थ्य आदि किसी भी मामले में हो सकता है. इससे हम सकारात्मक कार्यों से जुड़े रह पायेंगे और परिणामस्वरूप जीवन में सकारात्मक बदलाव के हकदार और भागीदार भी बनते जायेंगे. दुनिया में स्वस्थ, सफल और सुखी लोगों की जीवन यात्रा हमें यही संदेश तो देती है.

4. कुशल कर्मी बने रहने के लिए अपने कौशल को बढ़ाते और निखारते रहना जरुरी होता है. अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखकर कौशल विकास के पथ पर बढ़ते रहना सर्वथा अच्छा होता है. अगर नौकरी चेंज करने की मंशा है, तो संभावित पोजीशन और संस्थान को ध्यान में रखकर प्रो-एक्टिव प्लानिंग और तैयारी करना बेहतर  है. हम सबको एक और बात का जरुर ख्याल रखना चाहिए और वह यह कि जब भी किसी संस्थान से नौकरी छोड़ें तो विदाई में अपनी तरफ से पूरी शालीनता और सदभाव बनाए रखें; सबके प्रति आभार प्रकट करें. किसी तरह की कटुता न छोड़ कर जाएं और न ही ले कर जाएं.  कहा भी गया है कि आल इज वेल दि एंड्स वेल अर्थात अंत भला तो सब भला. यही नजरिया नए कार्यस्थल पर नौकरी ज्वाइन करते समय रखें. कहते हैं न कि वेल विगन इज हाफ डन अर्थात अच्छी शुरुआत आधा काम आसान कर देती है. खुले मन से अच्छाई के साथ जुड़ते रहना अच्छा है.

5. आज में यानी वर्तमान में जीना श्रेष्ठ माना गया है. यह विज्ञानं नहीं बल्कि एक कला है. जो बीत गई सो बात गई - सुप्रसिद्ध रचनाकार डॉ. हरिवंश राय बच्चन की एक कविता की पहली पंक्ति है. यूं भी जो आनेवाला कल है, वह भी तो एक दिन बाद का वर्तमान ही है. वर्तमान को अंग्रेजी में प्रेजेंट कहते है जिसका एक अर्थ उपहार भी होता है. वाकई वर्तमान हम सबके लिए सर्वोत्तम उपहार है. जिसने वर्तमान को सम्मान नहीं दिया, वह भविष्य में सम्मान का हकदार बनेगा इसकी संभावना क्षीण होती है. बोनस में अवांछित तनाव व दुश्चिंता से जूझना पड़ता है. पूर्व प्रधानमंत्री और कवि अटल बिहारी वाजपेयी की "जीवन बीत चला" शीर्षक  कविता की पहली चार पंक्तियां आज में जीने की महत्ता को बखूबी रेखांकित करती हैं: कल, कल करते, आज / हाथ से निकले सारे, / भूत, भविष्य की चिंता में / वर्तमान की बाजी हारे. कहने का अभिप्राय यह कि अगर हम कार्यक्षेत्र में अपने हर काम को बिना टालमटोल के या बिना देर किए  पूरी निष्ठा और तन्मयता से यथाशक्ति और यथाबुद्धि करने की कोशिश करें तो संतोष, सफलता और सम्मान सबको एन्जॉय कर पायेंगे.   
(hellomilansinha@gmail.com)

                 
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com 

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