Tuesday, December 24, 2019

निर्णय लेना है लीडरशिप क्वालिटी

                                                                        - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर... .... 
विश्वप्रसिद्ध अमेरिकी रचनाकार मार्क ट्वेन कहते हैं कि अच्छा निर्णय अनुभव से आता है और अनुभव आता है खराब निर्णय से. कहने का मतलब बिलकुल साफ़ है कि हर हालत में निर्णय लेना जरुरी है. जैसे-जैसे हम जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं, हर मोड़ पर या चौराहे पर हमें यह निर्णय करना पड़ता है कि किधर जाएं यानी किस ओर मुड़ें जिससे कि हम अपने लक्ष्य या गंतव्य तक आसानी से पहुंच सकें. विद्यार्थियों के लिए इसकी अहमियत कुछ ज्यादा है क्यों कि वे फिलहाल परिवर्तन के बड़े दौर से गुजर रहे होते हैं. छोटे-बड़े निर्णय उन्हें लेने पड़ते हैं और लेना भी चाहिए. ऐसे भी बिना  निर्णय लिए विकास के रास्ते में अग्रसर होना मुश्किल होता है और आपके जीवन का निर्णय कोई और ले तो फिर  अच्छे-बुरे की आपकी समझ कब विकसित होगी और कब आप सही अर्थों में आत्मनिर्भर बनेंगे. इसका कतई यह मतलब नहीं कि कोई भी विद्यार्थी अपने अभिभावक की बात न सुनें, उनके निर्णय को मानें ही नहीं. अभिभावक तो आपके सबसे बड़े हितैषी होते हैं और आपको शिक्षित करने के पीछे उनका एक बड़ा मकसद यह होता है कि आपमें सही और गलत की समझ विकसित हो जिससे आप धीरे-धीरे सही निर्णय लेने में सक्षम होते जाएं. 
   
देखा गया है कि कुछ विद्यार्थी सोच-समझ कर निर्णय लेते हैं जब कि कई विद्यार्थी निर्णय लेकर सोचते हैं. सब जानते है कि इनमें से बेहतर कौन माने जाते हैं. हां, कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो निर्णय करने में नहीं, निर्णय टालने में विश्वास करते हैं. इसके कई मनोवैज्ञानिक कारण हो  सकते हैं. एक आम कारण जो ऐसे विद्यार्थी अपने साथियों को बताते हैं वह यह कि उन्हें कोई निर्णय लेने से पहले और सोचना है. कहने का सीधा अभिप्राय यह कि इस श्रेणी के विद्यार्थी सोचते बहुत हैं, पर करते बहुत कम हैं. सभी जानते हैं कि सोचना एक मानवीय गुण है, लेकिन केवल सोच में पड़े रहने को क्या कहेंगे? वास्तव में सोचना कोई बुरी बात नहीं है, अपितु किसी कार्य को प्रारंभ करने से पहले उसके विषय में सोचना तो अच्छी बात है. यूँ कहें कि सोचना किसी कार्य को ठीक से संपन्न करने के लिए एक जरुरी प्रक्रिया है. लेकिन हर काम की एक समय सीमा तो होती ही है. इस विषय पर प्रसिद्ध मार्शल आर्ट कलाकार एवं फ़िल्म अभिनेता ब्रूस ली का कहना है कि ‘अगर आप किसी चीज के बारे में सोचने में बहुत अधिक वक्त लगाते हैं, तो फिर आप उस काम को कभी नहीं कर पायेंगे.’ मेरा स्पष्ट मत है कि सोचने, निर्णय लेने और उसे कार्यान्वित करने में एक परिभाषित संबंध तथा  सामंजस्य का होना वाकई बहुत जरुरी एवं वांछनीय है. विश्व इतिहास के महान विजेताओं में से एक एवं फ्रांस के महान सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट जो ‘असंभव’ शब्द को अपने शब्दकोष का हिस्सा  नहीं मानते थे, ने इसी सिद्धांत को व्यवहार में उतारा और कई उल्लेखनीय कार्य किये. इतिहास के पन्ने महान व्यक्तियों के ऐसे नजीरों से भरे पड़े हैं. 

हाल ही में प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में जुटे  प्रतिभागियों से पर्सनल काउंसलिंग के दौरान कई विद्यार्थी ने बताया कि उन्हें निर्णय लेने में, खासकर बड़े निर्णय लेने में डर लगता है कि अगर कहीं निर्णय गलत हो गया तो क्या होगा? इसका दोष मेरे सिर पर आएगा आदि आदि. जिम कैंप कहते हैं, "अनावश्यक डर कि फैसला गलत हो जाएगा, सही फैसला लेने के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध है." सही बात है. किसी भी विषय पर कोई भी निर्णय लेने से पहले हर समझदार विद्यार्थी सोच-विचार करते हैं, रिस्क-रिवॉर्ड की विवेचना करते हैं, शंका-आशंका-दुविधा की स्थिति  में  बड़े-बुजुर्गों और जानकारों की राय भी लेते हैं, लेकिन उद्देश्य होता है सही निर्णय लेना, न कि निर्णय को टालना या निर्णय न लेना. विचारणीय तथ्य यह है कि जिनको भी फैसना न लेने या टालने की आदत लग जाती है, उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, आत्मविश्वास, दृढ़ निश्चय आदि की कमी साफ़ झलकती है. ऐसे विद्यार्थियों को हर मामले में इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है. इसके विपरीत आपके आसपास भी बहुत सारे  विद्यार्थी होंगे  जिन्हें आप निर्णय लेने और ज्यादातर मामले में सही निर्णय लेने में सक्षम पायेंगे. ऐसे विद्यार्थी नॉलेज इज पॉवर को अहम मानते हैं और खुद के अनुभवों के साथ-साथ दूसरों के अनुभवों से बराबर सीख लेते रहते हैं. एक बात और. ऐसे विद्यार्थी निर्णय लेने के बाद उसके साथ हमेशा खड़े रहते है. इतना ही नहीं, अगर कोई फैसला गलत हो जाए तो उसका दोष दूसरों पर कभी नहीं थोपते हैं, बल्कि उसकी पूरी जिम्मेदारी खुद लेते हैं. ऐसे विद्यार्थी ही धीरे-धीरे नेतृत्व के बहुमूल्य गुणों से लैस होते जाते हैं और अपना, अपने परिवार,समाज और देश का कल्याण करने योग्य बनते हैं.  
(hellomilansinha@gmail.com)     

                 
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 10.11.2019 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

No comments:

Post a Comment