- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
करीब ग्यारह माह के अभूतपूर्व संकट काल के बाद देश में परिस्थिति सामान्य हो चली है. देश के चिकित्सा वैज्ञानिकों और रेगुलेटरी एक्सपर्ट्स के शानदार प्रयास के फलस्वरूप दो कोरोना वैक्सीन के उत्पादन और अब टीकाकरण के देशव्यापी सफल अभियान से हमारा देश कोविड-19 महामारी से लड़ाई के अंतिम मुकाम तक पहुँच गया है. निश्चित रूप से देश के प्रधानमंत्री और उनकी टीम के नेतृत्व में यह सब कार्य समुचित ढंग से संचालित हो रहा है. ऐसी अनुकूल स्थिति में स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी में सामान्य रूप से अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ परीक्षाओं का आयोजन स्वाभाविक है. सीबीएसई की दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा की तारीख तो घोषित भी हो चुकी है. प्रांतीय बोर्ड की परीक्षाएं भी जून तक संपन्न होने की पूरी संभावना है. कहने का अर्थ यह कि पिछले कई महीनों में छात्र-छात्राओं ने जो स्टडी की है उसे और बेहतर करते हुए परीक्षा में उसे प्रेजेंट करने का अवसर आ चुका है यानी खुद को प्रूव करने का समय आ गया है. सवाल है कि अगले दो-ढाई महीने में किन-किन बातों पर फोकस करें जिससे कि परीक्षा में बेहतर परफॉर्म कर सकें? फिलहाल तो बस निम्नलिखित तीन बातों पर 100 फीसदी फोकस करें.
टाइम मैनेजमेंट की अहमियत से सभी विद्यार्थी कमोबेश परिचित हैं. परीक्षा शुरू होने से पहले अब कितने दिन बाकी है, उसे गिन लें. जितने विषयों की परीक्षा है, मोटे तौर पर एक-एक विषय के लिए दिन व समय आवंटित कर दें. मसलन अगर साठ दिन के समयावधि में छह विषयों की फाइनल तैयारी करनी है, तो एक विषय पर 10 दिन का समय मिलता है. फिर अगर कोई विद्यार्थी दिनभर के 24 घंटे में औसतन 8 घंटे अध्ययन करता है, तो एक विषय को कुल 80 घंटे मिलते हैं. अब देखना यह है कि इन 80 घंटों में यदि वे पूरी तन्मयता से अध्ययन करें तो क्या उस विषय को अच्छे तरीके से कवर कर पाना संभव होगा. यह एक्सरसाइज हर विद्यार्थी को हरेक विषय की तैयारी के सन्दर्भ में ध्यान में रखना होगा. एक बार इसमें स्पष्टता आ जाएगी तो आगे टाइम मैनेजमेंट बेहतर हो पायेगा.
खासकर इस दो-ढाई महीने की अवधि में हेल्थ को एकदम दुरुस्त रखना होगा. देखा गया है कि अध्ययन के बोझ या तनाव के कारण हेल्थ के मामले में बड़ी चूक अनायास ही हो जाती है, खासकर उन विद्यार्थियों के साथ जो अपने परिवार से दूर हॉस्टल या मेस में रहते हैं. घर में रह कर पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों का ध्यान सामान्यतः उनकी माताएं-बहनें रख लेती हैं. कहने की जरुरत नहीं कि इस दौरान खानपान, व्यायाम और अच्छी नींद बहुत जरुरी होता है. समुचित ऊर्जा के बगैर उत्साह और तन्मयता से अध्ययन बहुत ही मुश्किल होता है, कई बार तो असंभव भी हो जाता है. और अगर लापरवाही के कारण बीमार पड़ गए तो फिर सारा रूटीन ही अस्त-व्यस्त हो जाता है. अतः पौष्टिक और सुपाच्य खाना खाएं. अपनी इम्युनिटी को मजबूत बनाए रखने के लिए जंक फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें. साथ ही किसी भी नशे की चीज से एकदम दूर रहें. हां, सुबह उठ कर स्टडी करें. उस समय दिमाग फ्रेश रहता है और पढ़ी हुई चीजें अच्छी तरह याद रहती है.
इस अवधि में अपने माइंड को मैनेज करना बहुत ही जरुरी है. मन चंचल होता है और कई बार अवांछित बातों में भी उलझता रहता है. अपने बनाए रूटीन को अच्छी तरह फॉलो करने की बात हो या अध्ययन में तन्मयता की बात, मन भटकता रहता है. मन को मनाना और उसे निर्धारित कार्य में लगाना खुद विद्यार्थियों को ही करना पड़ेगा. उन्हें इस बात को बहुत अच्छी तरह समझना और आत्मसात करना पड़ेगा कि अगर इस अवधि में नियत समय में नियत कार्य को सौ फीसदी सही ढंग से करने का नियमित अभ्यास करेंगे, तभी वे परीक्षा केंद्र पर भी प्रश्नों का उत्तर बेहतर तरीके से दे पायेंगे. अतः जरुरी यह है कि विद्यार्थीगण इस अवधि में प्राणायाम और मेडीटेशन का सहारा लें. साथ ही अनावश्यक कार्यों से तौबा करने का दृढ़ संकल्प लें और उस पर अमल करना शुरू कर दें. उदाहरण के लिए सोशल मीडिया, राजनीतिक व धार्मिक बहस व चर्चा से बिल्कुल दूर रहें. साथी-सहपाठी से भी मोबाइल पर तभी बात करें जब कि अध्ययन से जुड़ी कोई बात क्लियर करनी हो. संभव हो तो अपना मोबाइल ऑफ रखें और बात करना जरुरी हो तो माता-पिता के फोन का उपयोग करें. ऐसी और भी बातों को नोट कर उससे बचने का प्रयास कर सकते हैं. इससे समय की बचत के साथ-साथ अनावश्यक व्यवधान से मुक्ति मिलेगी और छात्र-छात्राएं अपने अध्ययन पर अच्छी तरह फोकस कर पायेंगे. बेहतर रिजल्ट भी तभी सुनिश्चित हो पायेगा.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.
# "युगवार्ता" साप्ताहिक के 21.02.2021 अंक में प्रकाशित
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