Friday, March 19, 2021

विचार प्रबंधन की अहमियत

                              - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

कहा जाता है कि दिनभर में हमारे दिमाग में हजारों छोटे-बड़े विचार आते हैं. उनमें से अधिकतर चले भी जाते हैं. है न अचरज की बात. एक मिनट के लिए आख बंद कर आते-जाते विचारों को मन की आँखों से देखें-जांचें, आपको खुद पता चल जाएगा.  खैर, विचार कई  प्रकार  के हो सकते हैं. अच्छे भी, बुरे भी, काम के, बिना काम के भी. लेकिन सबका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रिश्ता मोटेतौर पर हमारे मानस और कार्यकलाप से होता है.  महत्वपूर्ण यह है कि इन हजारों विचारों में से हम किन विचारों से प्रभावित होकर उस पर अमल करना चाहते हैं और अंततः मुस्तैदी से करते हैं.
मार्क ट्वेन कहते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में दो दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं. पहला उसका जन्मदिन और दूसरा वह दिन जब वह सच्चे अर्थों में यह जान पाता है कि उसका जन्म क्यों हुआ है. और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ  कहते हैं कि बिना बदलाव के विकास संभव नहीं है और बदलाव लाने का मूल मंत्र यही है कि सबसे पहले अपने विचारों को बदलें. अतः बुरे विचारों को छोड़ अच्छे विचारों से खुद को जोड़ते जाना समझदार और जानकार बनने का अच्छा माध्यम है. जीने का सही अर्थ भी.  


यह सौ फीसदी सही है कि विद्यार्थी जीवन कई तरह के परिवर्तन से होकर गुजरता है.
हर दिन कुछ नया जानने - सीखने का अवसर मिलता है. इस क्रम में असंख्य विचार विद्यार्थियों के मन में भी आते हैं. रोज एक छोटा-मोटा विचार मंथन चलता रहता है. यह विचार सही है या वह; इसे अमल में लाएं या उसे. कहने का मतलब यह कि छात्र-छात्राओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है सही विचार को चुनने और उसे अमल में लाने की. हां, विचारों को लेकर स्पष्टता होने के बावजूद कई बार यह परेशानी भी होती है कि विचारों का प्रबंधन कैसे करें, क्यों कि एक साथ कई विचार अच्छे और अमल में लाने योग्य प्रतीत होते हैं. मसलन सेहत, अध्ययन, मनोरंजन, खेलकूद, आराम से संबंधित कई  विचार अगर एक साथ किसी विद्यार्थी के मन में उलझन पैदा करने लगे तो पहले किसे तरजीह देंगें. अब विचार प्रबंधन  की दृष्टि से देखें तो सेहत सबसे जरुरी है. अगर स्वस्थ नहीं रहेंगें तो  ठीक से अध्ययन कैसे कर पायेंगे; अध्ययन नहीं करेंगे तो भविष्य कैसे अच्छा होगा. हां,  मनोरंजन आदि भी सुखी जीवन के लिए जरुरी है. अतः अच्छे विद्यार्थी सेहत को ठीक रखते हुए अध्ययन को साधने को  बेहतर मानेंगे. साथ में  मनोरंजन, खेलकूद  और आराम को भी वे अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे. इस प्रक्रिया को अपनाते हुए वे धीरे-धीरे उत्तम विचार सम्पन्नता, प्रबंधन और कार्यान्वयन में कुशलता प्राप्त करते जाते हैं, जो भविष्य में उनके जीवन मूल्य और  व्यक्तित्व को परिभाषित व परिलक्षित करते हैं. पर क्या सभी विद्यार्थी ऐसा करते हैं? दुःख की बात  है कि कई विद्यार्थी इसे अहमियत नहीं देते. लिहाजा वे इसका खामियाजा भुगतते रहते हैं. 


नार्मन विन्सेंट पील कहते हैं कि जिस दुनिया में हम रहते हैं वह दुनिया मूल रूप से बाहरी स्थितियों या परिस्थितियों से निर्धारित नहीं होती, बल्कि हमारे दिमाग में आदतन रहने वाले विचारों से निर्धारित होती है. रोम के सबसे श्रद्धेय सम्राट और  महान चिन्तक मार्कस ऑरेलियस  ने बहुत मार्के की बात कही थी कि किसी आदमी की जिंदगी उसके विचारों से बनती है. सच कहें तो हम अपने गलत विचारों से खुद को  बीमार बना सकते हैं या अच्छे और हेल्दी विचारों से बीमारी से खुद को मुक्ति दिला सकते हैं. पॉजिटिव विचार हमारे आसपास ऐसा माहौल बना देते हैं जिससे अनुकूल सिचुएशन बनने लगता है. इसके विपरीत अगर हम नेगेटिव विचार को अपनाते हैं तो अनुकूल सिचुएशन को भी प्रतिकूल होने में देर नहीं लगती है. 


दरअसल, जो विद्यार्थी सही विचार को चुनने और उसे अमल में लाने की चुनौती पर सफलता पा लेता है, उसके लिए  प्रगति  के मार्ग पर अग्रसर होना मुश्किल नहीं होता, क्यों कि उनके विचार  ही उनकी जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं.
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने देश को स्वतंत्र करने का विचार कर लिया और उसके लिए जी-जान से लग गए. उन्होंने उस विचार को मूर्त रूप देने के लिए आजाद हिन्द फौज जैसी विशाल सेना तैयार कर ली और 1944 में ही देश के पूर्वोत्तर भाग पर तिरंगा लहरा दिया. नेताजी के जीवनवृत्त पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि उनका विचार प्रबंधन अदभुत था. लिहाजा उन्होंने जीवन में जब भी जिस विचार को अपनाया, उसे कार्यान्वित  करने में कभी पीछे नहीं रहे. कहने का आशय यह कि छात्र-छात्राएं अपने विचारों का कुशल प्रबंधन और कार्यान्वन करना सीख लें, तो उत्तम  चेतना और सफलता हासिल कर सकते हैं.

 (hellomilansinha@gmail.com)   


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
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