- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
सफलता-असफलता विद्यार्थी जीवन का भी एक अभिन्न हिस्सा है. उनकी चर्चाओं में यह एक अहम विषय होता है. आम तौर पर छात्र-छात्राएं अपनी-अपनी सफलता को खूब एन्जॉय करते हैं. घर-परिवार और मित्रों के साथ पार्टी में खुशी का आनंद उठाते हैं. लेकिन आपने अपने किसी साथी-सहपाठी को अपनी असफलता को सेलिब्रेट या एन्जॉय करते हुए देखा है? शायद नहीं. असफलता और सेलिब्रेशन? यह तो सोच से बाहर की बात है. सामान्यतः असफलता के साथ तो डांट-फटकार, गम-मातम, चिंता-तनाव आदि का ही अटूट रिश्ता रहा है. प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक रोबर्ट हेरोल्ड शुलर ने एक बड़ी अच्छी बात कही है, जो हर विद्यार्थी के लिए विचारणीय है. वे कहते हैं कि "असफलता का ये मतलब नहीं है कि आप असफल हैं. इसका बस ये मतलब है कि आप अभी तक सफल नहीं हुए हैं." आप लोगों ने प्रसिद्ध क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धोनी की बायोपिक तो जरुर देखी होगी. उसके एक सीन में धोनी को अपनी असफलता को सेलिब्रेट करते हुए देखा जा सकता है. उस सीन में धोनी यह कहते हैं कि वे इस असफलता को भूलना नहीं चाहते हैं. अतः सेलिब्रेट कर रहे हैं. दोस्तों को समोसा और मिठाई खिला रहे हैं. असफलता के मौके पर न केवल शांत व संतुलित रहनेवाले, बल्कि उसे एन्जॉय करनेवाले धोनी को कैप्टेन कूल के नाम से संबोधित करने के पीछे शायद यह एक बड़ा कारण रहा है. बाद के वर्षों में धोनी ने क्रिकेट के इतिहास में कीर्तिमान के जो-जो पन्ने जोड़े उससे भी आप सभी पूर्णतः परिचित हैं.
धोनी की तरह ही अनेक विद्यार्थी अपने-अपने जीवन में एक स्पष्ट और बड़ा लक्ष्य लेकर अपने काम में जुटे रहते हैं. खूब प्रयास करते हैं, अपने जानते कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन कई बार अपेक्षित सफलता से बस एक कदम दूर रह जाते हैं. परिजन-मित्रगण सोचते हैं कि इस विद्यार्थी ने यथोचित प्रयास नहीं किया. उनके दृष्टिकोण से वे सही हो सकते हैं, लेकिन जिसने प्रयास किया वह बेहतर जानता है कि उसमें कहां कमी रह गई या किसी अन्य परिस्थितिवश सफलता हासिल नहीं हो पाई. अक्सर प्रतियोगिता परीक्षाओं में ऐसा होता आया है. ऐसे में मन को दुःख से भरने के स्थान पर अतिरिक्त उत्साह से भरने की जरुरत होती है. सोचना यह अच्छा होता है कि 100, 200 या 400 मीटर रेस के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में धावक कितने दिन कितने घंटे नियमित मेहनत करता है, लेकिन सफलता-असफलता के बीच अंतर कई बार एक सेकंड से भी कम होता है. तो क्या असफल होनेवाले धावक आगे रेस में शामिल नहीं होते हैं? बिलकुल होते हैं और इस बार ज्यादा तैयारी के साथ-साथ बड़े संकल्प और उत्साह के साथ शामिल होते हैं, क्यों कि वे लाइफ को एन्जॉय करने में विश्वास करते हैं, जहां सफलता-असफलता दोनों आते-जाते रहते हैं.
विश्वइतिहास में ऐसे लाखों लोगों की महान सफलता की कहानी दर्ज है, जिन्होंने एक नहीं, बल्कि कई बड़ी असफलताओं के बावजूद अकल्पनीय आविष्कार, अन्वेषण, सामाजिक कार्य आदि किए. बेस्ट सेलर बुक "थिंक एंड ग्रो रिच" के लेखक नेपोलियन हिल तो कहते हैं कि "अधिकतर महान लोगों ने अपनी सबसे बड़ी सफलता अपनी सबसे बड़ी विफलता के एक कदम आगे हांसिल की है." वे यह भी कहते हैं कि "असफलता, आपको बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार करने का प्रकृति का तरीका है." सच्चाई यह है कि ऐसे सभी लोगों ने किसी-न-किसी रूप में इन बातों को मन से माना कि एकाधिक असफलताओं के बावजूद लोगों को निराश या हताश होकर मैदान नहीं छोड़ना चाहिए. इसके बजाय उस पल को भी एन्जॉय करना चाहिए. दरअसल, असफल होने पर कोई नहीं हारता. वास्तव में हारता तो वह तब है, जब उसका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है और परिणाम स्वरुप वह यथोचित चेष्टा करना भी छोड़ देता है. कहते हैं न कि जो व्यक्ति असफलता के अंधेरे में भी स्वयं दीपक बनकर अपनी राह तलाशने का हर संभव प्रयास करता है, सफलता उसी का कदम चूमती है. सभी छात्र-छात्राएं अगर देश-विदेश के हजारों महान लोगों में से अगले 4-5 महीनों में महान स्वतंत्रता सेनानी व विचारक बाल गंगाधर तिलक, पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक ए पी जे अब्दुल कलाम, एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब, महान आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन और फोर्ड कंपनी के संस्थापक व उद्योगपति हेनरी फोर्ड जैसे 4-5 लोगों की बायोग्राफी पढ़ें, तो उन्हें जीवनपथ पर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा और सीख दोनों मिलेगी. आशा है आप जरुर पढ़ेंगे और जीवन में छोटी-बड़ी असफलता को भी एन्जॉय करते रहेंगे.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.
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