Tuesday, February 9, 2021

वेलनेस पॉइंट: जरुरी है उम्मीद का साथ

                                  - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट 

विश्वभर में कोरोना महामारी सहित कई वाजिब-गैरवाजिब कारणों से युवा बड़ी संख्या में बहुत तनाव में हैं.
खुशी की बात है कि आम तौर पर हमारे युवाओं ने तनाव से हारने या पस्त होने के बजाय कोशिश और संघर्ष के मार्ग पर चलने को बेहतर समझा है. इसके पीछे उनकी यह सोच रही कि जीवन गतिमान है और मार्ग आसान हो या दुर्गम, सतत आगे बढ़ते रहना सबसे अच्छा विकल्प है. हां, उसके लिए मजबूत आत्मविश्वास का होना अनिवार्य होता है. इस मामले में प्रसिद्ध अमेरिकी फुटबॉलर  जो नामथ का कहना बिल्कुल सही है कि "जब  आपके  अन्दर  आत्मविश्वास  होता है तब आप जीवन का खूब आनंद उठा  सकते  हैं. और  जब  आप  आनंद  उठाते  हैं  तब  आप  अदभुत  चीजें  कर  सकते हैं ." महामारी के दौर में करोड़ों युवाओं ने इस भावना को अच्छी तरह चरितार्थ किया. हां, आत्मविश्वास और उम्मीद के दो आंतरिक सुरक्षा वैक्सीन के साथ-साथ अब तो उनके पास भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा तैयार दो वैक्सीन का सौगात भी है. लिहाजा  आगे उत्साह और उमंग से जीने की भावना और मजबूत होगी, इसमें कोई दो मत नहीं. 


यहां
स्वामी विवेकानंद का यह कथन भी काबिलेगौर है. वे कहते हैं कि "किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं." कहने का तात्पर्य यह कि इस एक बात को मन में ठान लें कि कुछ भी हो घबराना नहीं है और समस्या से भागने का प्रयास नहीं करना है. इतने से ही आपमें पॉजिटिव चेंज आएगा और आप पॉजिटिव एनर्जी से भरते जायेंगे. मनोवैज्ञानिक मानते और कहते हैं कि स्वस्थ, उत्साहित व ऊर्जावान रहने के लिए जीवन में उम्मीद का साथ होना आवश्यक है. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने क्या खूब कहा है कि हमें सीमित निराशा को स्वीकार तो करना चाहिए, परन्तु अनंत उम्मीदों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. 


मेरे ऐसे कई युवा मित्र हैं जो निराशा या चिंता या तनाव  के पल में 
बचपन में पढ़ी प्रख्यात कवि मैथिलीशरण गुप्त और रामधारी सिंह दिनकर की दो कविताओं की बस दो-दो पंक्तियां एक-एक बार गुनगुना लेते हैं. कहते हैं, इससे उन्हें प्रेरणा मिलती है, उनमें आशा और शक्ति का संचार होता है. गुप्त जी लिखते हैं, "नर हो न निराश करो मन को, कुछ काम करो, कुछ काम करो, जग में रहकर कुछ नाम करो ... " और दिनकर जी की कविता की दो पंक्तियां हैं, "खम  ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पांव उखड़. मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है..." आप भी तनाव व चिंता के क्षणों में गुनगुनाकर देख सकते हैं. अच्छा फील करेंगे. आनेवाले दिन तो यकीनन बेहतर होंगे ही.  

(hellomilansinha@gmail.com)   


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
# लोकप्रिय अखबार "दैनिक जागरण" में 06.02.2021 को प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

No comments:

Post a Comment