Monday, November 9, 2020

अपना अनोखापन बनाए रखें

                                - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

सब जानते हैं कि हर व्यक्ति अपने-आप में अनोखा है. विश्व की सात सौ करोड़ से ज्यादा की आबादी में कोई भी व्यक्ति दूसरे के बिलकुल एक जैसा नहीं है और न ही हो सकता है. यह शाश्वत सत्य है. जुड़वां भाई-बहनों में भी अनेक समानताओं के बावजूद कई स्पष्ट असमानताएं भी होती हैं. बड़े होने पर यह और साफ़ हो जाता है. एक तरह की परवरिश के बाद भी उनका अनोखापन उनके स्वभाव, व्यवहार, पसंद-नापसंद, जीवनशैली, कार्यशैली आदि से रिफ्लेक्ट होता है. जुड़वां भाइयों और जुड़वां बहनों को लेकर कई हिन्दी और अन्य भाषाओं की फिल्में बनी हैं, जिसमें ऊपर कही गई बातों को रोचक तरीके से दर्शाया गया है.
गौरतलब  बात है कि अनोखेपन का यह संसार बहुत ही बड़ा, अदभुत और सुंदर है. छात्र-छात्राएं अबतक के अपने-अपने जीवन पर गंभीरता से गौर करें तो उन्हें खुद इस बात की सत्यता की अनुभूति हो जाएगी. उनके सपने और लक्ष्य, उनकी सोच, उनका विचार, रहन-सहन, खानपान आदि सब मामले में वे एक दूसरे से कुछ-न-कुछ अलग हैं और रहेंगे. 


जॉब मार्केट में या प्रतियोगिता परीक्षा के इंटरव्यू में आम तौर पर प्रतिभागियों से उनके  यूएसपी  के बारे में पूछा जाता है.
यह यूएसपी आखिर है क्या? इसका फुल फॉर्म है यूनिक सेलिंग प्रोपोजीशन या पॉइंट. सरल शब्दों में कहें तो आप दूसरे की तुलना में यूनिक या अनोखे कैसे हैं? कहने का आशय यह कि किसी भी व्यक्ति का अनोखापन उसकी एक स्पेशल क्वालिटी और आइडेंटिटी  होती है, जिसे हर नियोक्ता या चयनकर्ता कैंडिडेट में देखना चाहता है. दरअसल, यह एक लीडरशिप क्वालिटी भी है, जिससे आप भीड़ का हिस्सा होते हुए भी भीड़ से अलग दिखते हैं. हां, यह विशेष गुण और पहचान आपके लिए दिखावे या अहंकार की वस्तु नहीं बने, इसका ध्यान रखना अच्छा साबित होता है.  


विचारणीय विषय यह है कि यह सब जानते हुए भी बहुत सारे विद्यार्थी किसी दूसरे की तरह ही बनना चाहते हैं, उनकी नक़ल करते हैं, बिना सोचे-समझे दूसरे के पीछे चलते रहते हैं. यह दूसरा व्यक्ति कोई भी हो सकता है - कोई नेता, अधिकारी, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, कलाकार, दोस्त, सहपाठी  या अन्य कोई. इतना ही नहीं, नए कोर्स में एडमिशन लेने की बात हो या किसी कॉलेज-यूनिवर्सिटी  विशेष में पढ़ने की बात हो या किसी आन्दोलन या जुलूस  में शामिल होने की बात, छात्र-छात्राएं बस एक जैसा काम करने लगते हैं.
यकीनन यह उनके हित में नहीं होता है क्यों कि वे अपने मौलिकता को छोड़कर कॉपी-पेस्ट कल्चर को अपनाने लगते हैं.  सभी विद्यार्थी इस बात से सहमत होंगे कि वे किसी के गुलाम नहीं बनना या रहना चाहते हैं. उनमें चीजों को अपने तरीके से देखने-समझने की स्वाभाविक जिज्ञासा होती है. वे यह भी मानेंगे कि उनकी जिंदगी बेशकीमती है और वे अपनी जिंदगी को अपने तरीके से पूरी सार्थकता और जीवंतता  के साथ  जीना चाहते हैं. सवाल है कि ऐसा जीवन जीने के लिए छात्र-छात्राओं को क्या करना चाहिए?


पहले तो प्रत्येक विद्यार्थी अपनी समझ के मुताबिक़ जीवन के अपने छोटे-बड़े लक्ष्य को स्पष्ट रूप से तय करें. फिर उसके अनुरूप अपनी कार्ययोजना बनाकर उस ओर बढ़ना शुरू करें. अध्ययन, कैरियर या अपने जीवन से जुड़ी अहम बातों पर थोड़ी गहराई में जाकर चिंतन करें. बहुत सारे कनफ्यूजन क्लियर हो जायेंगे. खुद की बुद्धि और क्षमता पर भरोसा बढ़ने लगेगा.  छात्र-छात्राएं हमेशा यह भी सोचें कि हर प्रॉब्लम का निदान कहीं-न-कहीं है और वे भी उस निदान तक पहुंच सकते हैं, बेशक कई बार उनके लिए वहां तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है.
इससे चीजों को देखने, परेशानियों से निबटने और समस्याओं का समाधान तलाशने में वे दक्षता हासिल करते जायेंगे. इसका पॉजिटिव असर उनके स्टडी और कैरियर सहित कई मामलों में दिखेगा ही.  


जानने-सीखने के मामले में खुले मन से काम करें. सीखें सबसे, परन्तु अन्धानुकरण किसी का नहीं करें. जब-जहां महसूस हो, सलाह-सुझाव-मार्गदर्शन जरुर प्राप्त करें, लेकिन खुद उस पर सोच-विचार करके ही अंतिम निर्णय लें. ऐसे भी जब कोई विद्यार्थी अपने को यूनिक मानता है, जो कि वह वास्तव में होता है तो उसका जो भी यूएसपी है उसे आधार बनाकर भविष्य की कार्ययोजना बनाना बेहतर होता है. 
खेल का मैदान हो, गीत-संगीत-नृत्य की प्रतियोगिता, रंगमंच या पेंटिंग की दुनिया, राजनीति या कूटनीति का फील्ड, भाषण या लेखन प्रतियोगिता, वर्कप्लेस या शोध संस्थान सभी स्थान पर लोग अपने यूएसपी की बुनियाद पर दूसरे की अपेक्षा बेहतर रिजल्ट हासिल करते हैं. अतः जरुरी है कि हर विद्यार्थी अपने अनोखेपन को बनाए रखें. फायदे में रहेंगे. 

 (hellomilansinha@gmail.com)   

      
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 13.09.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com 

No comments:

Post a Comment