Thursday, November 19, 2020

चलेगा कार्यशैली के मायने

                                     - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

सभी विद्यार्थियों ने यह गौर किया होगा कि उनके स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी में कुछ शिक्षक-प्राध्यापक अपने क्लास में जिस विषय  या चैप्टर को पढ़ाने आते हैं, उसे किसी तरह आधा-अधूरा पढ़ा कर घंटी बजते ही झट क्लास से निकल जाते हैं. क्लास के बाहर आप उनसे कुछ पूछने-समझने जाएं तो वहां भी वे आपको यथाशीघ्र चलता करते हैं. दिलचस्प बात है कि  वे अपनी संस्थान से कम वेतन नहीं लेते हैं और न ही अपने को किसी दूसरे शिक्षक-प्राध्यापक से कमतर ही समझते हैं. उसी तरह कुछ विद्यार्थी अपना क्लास जैसे-तैसे अटेंड करते हैं - कभी करते हैं, कभी नहीं करते हैं, देर से आते हैं, जल्दी निकलने की ताक में रहते हैं, कॉपी में कुछ नोट करते हैं, ज्यादा नहीं करते हैं. कई विद्यार्थियों को आप हर काम को किसी भी तरह निबटाते देखते हैं.  उनके रिजल्ट के समय अपनी असफलता का दोष किसी और पर मढ़ने की कोशिश करते भी आप देख सकते हैं.  आपके  आसपास  इस तरह के लोग अनायास ही मिल जायेंगे. दुःख की बात है कि देश में ऐसे लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है.
हां, ये सारे लोग जाने-अनजाने  "चलेगा कार्यशैली या संस्कृति" के पक्षधर व समर्थक होते है और कुछ तो प्रमोटर भी होते हैं. इनसे कोई इनके इस रवैये के विषय में सवाल करे तो उसका एक ही उत्तर होता है  कि सब चलता है और सब चलेगा. कमोबेश हर सरकारी दफ्तर और कई प्राइवेट संस्थान में इस कार्यशैली या संस्कृति से  चालित लोग कम या ज्यादा संख्या में मौजूद रहते हैं. वे लोग हर काम चलताऊ तरीके से निबटाते हैं. उनके कारण उन दफ्तरों का माहौल बिगड़ता है और छवि भी. सम्प्रति केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें इस कार्यशैली को बदलने की कोशिश में जुटे हैं. यह बहुत अच्छी बात है. 


चलेगा कार्यशैली या संस्कृति से प्रेरित व प्रभावित विद्यार्थियों में ये ख़ास लक्षण पाए जाते हैं.
1) इनकी जीवनशैली बेतरतीब होती है. रात में सोना, सुबह उठना, खानपान, अध्ययन, ड्रेस, आचरण से लेकर जीवन को जीने का इनका पूरा अंदाज मानक सिद्धांतों से मेल नहीं खाता. हर मामले में ये विद्यार्थी चलेगा का दामन थामे रहते हैं.  2) ये अपनी असफलताओं से कोई सीख नहीं लेते हैं. रिजल्ट के दिन भी वे उतने दुखी या उदास नहीं होते क्यों कि ज्यादातर मामलों में उन्हें अपने परीक्षा या टेस्ट के फलाफल का अनुमान रहता है. फिर भी कोई इनसे खराब रिजल्ट को लेकर कोई सवाल करे तो बहानेबाजी और दोषारोपण को अपना हथियार बनाते हैं  3) ये विद्यार्थी अपने अभिभावक या शिक्षक की बात या तो सुनते नहीं हैं या चुपचाप सुनकर उसे अनसुना कर देते हैं.  4) जीवन में अनुशासन के महत्व को नहीं समझते हैं. लिहाजा अनुशासनहीनता के कई छोटे-बड़े मामले में फंसते रहते हैं. 5) समय की पाबंदी के वैल्यू को नहीं मानते. क्लास हो या समय से ट्रेन, बस या फ्लाइट पकड़ने या कहीं और पहुंचने की बात, ये अमूमन लेट से ही पहुंचते हैं.  


स्वाभाविक रूप से ऐसे विद्यार्थी इस चलेगा कार्यशैली के अनेकानेक दुष्परिणामों से रूबरू होते  हैं, जिनमें से ये अहम हैं.
1) इनकी आदत बिगड़ जाती है और ये कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाते हैं. स्वास्थ्य भी दुप्रभावित होता है.  2) आम परीक्षा हो या कोई भी प्रतियोगिता परीक्षा, इनका  रैंक नीचे ही होता है. लिहाजा एडमिशन या सेलेक्शन बहुत मुश्किल होता है.  3) इनकी इस कार्यशैली का बुरा असर इनके साथ-साथ इनके साथी-सहपाठी, परिजनों और आसपास के लोगों, खासकर घर के छोटे भाई-बहनों पर भी पड़ता है. 4) अपने संस्थान के अलावे घर या समाज में इन्हें लोग एवरेज स्टूडेंट मानते हैं और सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते हैं. 5) आगे के जीवन में नौकरी या कारोबार में ये लोग रोजाना आठ-दस घंटे काम करने के बाद भी ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते हैं.  


"विश्व एक व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं" - स्वामी विवेकानंद  की इस बात को सदा याद रखते हुए सभी छात्र-छात्राओं को चलेगा कार्यशैली से दूर रहने और इन पांच बातों को पूर्णतः अमल में लाने की जरुरत है.
1) शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का हर संभव प्रयास करें तथा अपने स्टडी पर पूरा फोकस करें 2) वर्तमान समय को लाइफ का प्राइम टाइम मानकर समय का सदुपयोग करें 4) आवरण हो या आचरण या खानपान या रहन-सहन, सब मामले में स्वच्छता, सकारात्मकता और संतुलन रखें. 4) हर काम को बहुत अच्छी तरह करने की आदत डालें यानी परफेक्शन और क्वालिटी पर ध्यान दें. 5) हमेशा याद रखें कि जीवन में एक्सीलेंस एक यात्रा है. इस विचार पर चलनेवाले विद्यार्थी बराबर सफलता प्राप्त करते रहते हैं. 

 (hellomilansinha@gmail.com)  


            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

No comments:

Post a Comment