Tuesday, May 12, 2020

हर दिन एक नया दिन

                              - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
सभी जानते हैं कि पृथ्वी चौबीस घंटे में अपनी धूरी पर एक बार घूम जाती है और हमें  रोज सूर्योदय और सूर्यास्त का अनुभव करवाती है. सुबह-सुबह रोज चिड़िया जोर-जोर से न जाने कौन-सा नया पाठ याद करती है या कौन-सा नया गाना गा कर हमें कौन-सा संदेश देकर न जाने कहां काम पर निकल जाती है और फिर शाम होते ही एक दूसरा गाना गाते हुए अपने घर लौट आती है. सचमुच इन सबके बीच जीवन में हमें रोज कई सदेश मिलते हैं. मसलन, जीवन चलने का नाम, जीवन के रंग हजार, जीवन परिवर्तनशील है, प्रकृति हमारा अच्छा दोस्त, बदलता रहता है मौसम - कभी ख़ुशी कभी  गम, हर दिन एक नया दिन आदि. 

वाकई हर दिन एक नया दिन होता है. हम लोग सभी,  खासकर छात्र-छात्राएं अगर इस यथार्थ को मान कर चलें तो जीवन के लिए बहुत जरुरी वेलनेस पॉइंट्स बिलकुल क्लियर हो जाते हैं. पहला तो यह कि आज का दिन आज ही ख़त्म होगा. इसे चाहकर भी हम आगे नहीं खींच सकते हैं. कल एक नया दिन होगा. अतः आज का जो भी काम है उसे आज ही पूरा करना है और अच्छे तरीके से करना है.  विद्यार्थीगण अगर इस विषय पर अच्छी तरह सोचें तो हर रात सोने से पहले उस समय तक का जो भी जरुरी काम होगा उसे 100% पूरा करने का प्रयत्न करेंगे. अब जब सब काम अप टू डेट रहेगा तो उसका परिणाम तो अच्छा होगा ही. सवाल है क्या सब विद्यार्थी ऐसा करते हैं?

आमतौर पर कई विद्यार्थी कुछ काम को कल पर टालते या छोड़ते हैं, जिससे धीरे-धीरे उनकी आदत कार्यों को लंबित रखने, टालने और देर से करने की बन जाती है. इससे वे कभी भी अपने लक्ष्य को नियत समय के भीतर हासिल नहीं कर सकते. बड़ा लक्ष्य हासिल करने की क्षमता होते हुए भी वे अपने अनेक साथियों से पीछे रह जाते हैं. कालान्तर में उनका आत्मविश्वास बहुत गिर जाता है. लेकिन अगर जीवन के किसी भी मोड़ पर  कोई भी विद्यार्थी सिर्फ यह सोच ले कि जो हुआ सो हुआ, तो वहीँ से एक नयी और बेहतर पारी की शुरुआत हो जाती है. 

बहरहाल, सबके लिए यह विचारणीय प्रश्न है कि जब हमें रोज एक नया दिन मिलता है तो उसका दिल खोलकर स्वागत क्यों न करें?  वाकई जब हमें कुछ नया और मन का मिलता है तो हमें बहुत ख़ुशी मिलती है. हम उस दिन को बहुत अच्छी तरह जीना चाहते हैं. कुछ अभिनव और बेहतर करना चाहते हैं. लिहाजा हम उत्साहित और आनंदित होते हैं. हर काम को मन से करते हैं. नकारात्मक सोच-विचार से दूर रहने से छोटे-बड़े अवरोधों से परेशान हुए बिना सिर्फ लक्ष्य पर फोकस करना संभव हो पाता है. इस तरह हर दिन को एक नया अवसर मानकर अध्ययन करनेवाले विद्यार्थी यकीनन दूसरों की अपेक्षा ज्यादा सफल और सुखी होते हैं.  हां, जब भी मैं अपने मोटिवेशनल सेशन में इन विचारों को विद्यार्थियों के सामने रखता हूँ और उनसे बातें करता हूँ तो एक सवाल जरुर मेरे सामने आता है और वह है कि इसे व्यवहारिक रूप से अमल में कैसे लाया जाए?  

देखिए, इस सोच का सबसे अहम पॉइंट है कि जीवन का हर पल अनमोल है, इसे यूं ही बर्बाद नहीं करना चाहिए. दिन-रात आयेंगे और जायेंगे. आप उन्हें आते-जाते रोक नहीं सकते. बस उस पल को सही तरीके से जीने और  उसको एन्जॉय करने का हरसंभव प्रयास कर सकते हैं. और सही तरीके से जीने का अर्थ है अपने जीवन की सार्थकता को पहचानना और तदनुरूप कर्म पथ पर चलते जाना. तो करना यह है कि अभी जो आपका लक्ष्य है उसको सामने रखते हुए जो भी कार्य महत्वपूर्ण और जरुरी हैं उन्हें बस अपनी क्षमता के अनुसार करते जाएं.  चिंता नहीं, चिंतन करें और जीवन को सम्पूर्णता में जीने  की कोशिश करते रहें. जो भी चिंता दिमाग में घर बनाकर बैठा है, उसे अपने दिमाग से निकालने का सतत प्रयत्न भी करते रहें. इस संबंध में प्रसिद्ध प्रबंधन विशेषज्ञ नार्मन विन्सेन्ट पील की  सलाह विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. वे कहते हैं कि "अपने दिमाग को हर दिन खाली करने का अभ्यास करें. आदर्श स्थिति में यह कार्य सोने जाने से ठीक पहले करनी चाहिए, ताकि आपकी चेतना में चिंता का नामोनिशान न रहे. नींद में विचार हमारे अवचेतन की गहराइयों में चले जाते हैं. इसलिए सोने से पहले के पांच मिनट हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, क्यों कि उस समय हमारा मस्तिष्क सुझावों के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होता है.... ...." सार-संक्षेप यह कि हर दिन एक नया दिन है. उसे बस पॉजिटिव सोच के साथ जीएं. सब बढ़िया होगा.  
(hellomilansinha@gmail.com)
       
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 

# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 23.02.2020 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com   

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