- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
हम सबने देखा-सुना-पढ़ा है कि देश-विदेश के सारे महान लोगों - वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, उद्योगपति, राजनेता आदि संवाद करने में असाधारण रूप से सक्षम रहे हैं. अलग-अलग क्षेत्र और तबके के लोगों के साथ वे बहुत आसानी से सार्थक और मधुर संवाद कर लेते हैं. लाखों लोग उनकी बातों से प्रभावित और प्रेरित होकर देशहित के अनेक कार्यों में अनायास ही सक्रियता से जुड़ जाते हैं. इतिहास गवाह है कि बड़े से बड़ा विवाद भी सार्थक संवाद से ही हल किए जाते हैं.
उदारीकरण के मौजूदा दौर में नौकरी हो या स्व-रोजगार या कोई व्यापार-व्यवसाय, हर स्थान पर प्रतिस्पर्धा से रूबरू होना स्वाभाविक है और इस परिस्थिति में विद्यार्थियों के लिए संवाद कौशल में पारंगत होना सफलता का प्रभावी कारण बनता है. घर-बाहर हर जगह यह स्किल हमारे कठिन से कठिन काम को आसान बनाने में अहम भूमिका अदा करता है. लिहाजा, संवाद कौशल में दक्षता न केवल विद्यार्थियों को अपनी बात अच्छी तरह रखने में मदद करता है, बल्कि दूसरों की बातों को ठीक से सुनने, सराहने और अंततः उनके साथ एक सार्थक रिश्ता कायम करने में सहायक होता है.
कई कैंपस सिलेक्शन और जॉब इंटरव्यू के दौरान छात्र-छात्राओं के संवाद कौशल को जानने-परखने का अवसर मिलता रहा है. जीडी यानी ग्रुप डिस्कशन के दौरान प्रतिभागियों को परफॉर्म करते देखा है. 10-15 मिनट के साक्षात्कार या लगभग 60 मिनट के जीडी प्रक्रिया में यह साफ़ देखने में आता है कि कई प्रतिभागी ज्ञान समृद्ध होने के बावजूद अपनी बात या पॉइंट को प्रभावी रूप से प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं. कारण वे संवाद कौशल के मामले में थोड़े कमजोर होते हैं.
जोर देने की जरुरत नहीं कि रातोंरात इस कौशल में पूर्णतः दक्ष होना संभव नहीं है, क्यों कि इस कला में दक्षता हासिल करने के लिए हमेशा विद्यार्थी बने रहना और रोज कुछ-न-कुछ नया सीखते रहना जरुरी होता है. यह एक सतत प्रक्रिया है. मजेदार और बहुत अहम बात है कि आप इस विधा में कितना भी निपुण हो जाएं, आपको आगे और निपुण होने की जरुरत महसूस होती रहती है. इस कार्य में उत्तमता महज एक यात्रा है, न कि कोई अंतिम मंजिल. बहरहाल, छात्र-छात्राएं अपने संवाद कौशल को बेहतर बनाने के लिए कई बातों पर अमल करना शुरू कर सकते हैं. इसका लाभ उन्हें जीवन के हर मोड़ पर मिलेगा, खासकर इंटरव्यू या ग्रुप डिस्कशन में.
पहली दो बात यह कि छात्र-छात्राएं अपना नजरिया बराबर सकारात्मक रखें और जानने व सीखने को हमेशा तत्पर रहें. यह याद रखें कि किसी भी चर्चा या विचार-विमर्श या साक्षात्कार में सरल और सटीक शब्दों का चयन अहम रोल अदा करता है. अर्थात अपने शब्द भंडार को उन्नत करते रहना और उनका यथोचित उपयोग करना जरुरी है. साथ-ही-साथ इस बात को भी ध्यान में रखें कि इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों या सेलेक्टर्स को उनके द्वारा पूछे गए सवाल के संबंध में जरुरी जानकारी देना और उन्हें अच्छी तरह चीजों को समझाना आपका पहला उद्देश्य है. इसके लिए मध्यम गति और साफ़ आवाज में अपनी बात शालीनता और आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करें.
सभी विद्यार्थी जानते हैं कि प्रश्नों को ठीक से सुनना, ठीक से उत्तर देने के लिए अनिवार्य शर्त है. दिलचस्प एवं महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इंटरव्यू देनेवाले विद्यार्थी का ऐसा आचरण चयनकर्ताओं और नियोक्ताओं को बहुत पसंद आता है. ऐसे भी, जब तक आप सवाल को ठीक से सुनेंगे नहीं, अच्छी तरह कैसे समझेंगें और अगर सवाल ठीक से समझ में नहीं आएगा तो सटीक और तर्कसंगत उत्तर देना कैसे संभव होगा?
इंटरव्यू या जीडी के दौरान जब भी बात करें सोच-समझकर और तथ्यों के साथ बात करें. आवेग या उत्तेजनावश कुछ भी न बोलें. दूसरों के विचार को सुनना और उसे महत्व देते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाना सबको अच्छा लगता है. हां, आंख में आंख मिलाकर बात करना कम्युनिकेशन को प्रभावी बनाता है. आपके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट हो तो और भी अच्छा. इससे एक तो आप तनाव मुक्त रहेंगे और दूसरे सामनेवाले को अपने संयत और सामान्य होने का एहसास भी करवा पायेंगे. संक्षेप में कहें तो ऐसे समय पर आपके हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज का रोल भी अहम होता है. एक अहम बात और. इन अवसरों पर इस बात के प्रति भी सचेत रहने की जरुरत होती है कि आप समय सीमा के भीतर अपनी मुख्य बातों को रख पा रहें हैं. इसके लिए बात की शुरुआत और समापन बहुत अच्छी तरह से होना सुनिश्चित करें.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 15.12.2019 अंक में प्रकाशित
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