Saturday, December 23, 2017
आज की कविता : आकलन
- मिलन सिन्हा
कोई चारा अब नहीं.
गलत तो आखिर गलत है
कैसे कहें उसे सही.
हर काम का आकलन
होना है बस यहीं.
मानें - न - मानें
हर ख़ुशी, हर गम के लिए
जिम्मेदार बस हम ही !
और भी बातें करेंगे,
चलते-चलते
।
असीम शुभकामनाएं
।
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