- मिलन सिन्हा
देश की आबादी निरन्तर बढ़ रही है और साथ ही लोगों की स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरतें और समस्याएं। सरकारें व संबंधित एजेंसियां अपना -अपना काम अपने ढंग व रफ़्तार से करने में जुटीं हैं, तथापि रोगों की संख्या और उससे पीड़ित लोगों की तादाद में इजाफा हो रहा है, जो सबके लिये गंभीर चिंता का विषय है। क्या देश की मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था इस समस्या से प्रभावी रूप से निबट सकती है ?
देश के जिन करोड़ों लोगों को अभी तक रोटी, कपड़ा, मकान जैसे मूलभूत आवश्यकताओं से जूझना पड़ रहा है, उनकी चर्चा यहाँ न भी करें तो भी यह जानना दिलचस्प होगा कि जिन लोगों के पास खाने, पहनने और रहने की कोई समस्या नहीं है, ऐसे लोग भी कैसी -कैसी बिमारियों के शिकार हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
ऐसे लोग खाने -पीने के मामले में सुबह से रात तक कितने -कितने और कैसे -कैसे अच्छे -बुरे विज्ञापन देखते रहते हैं और बिना ज्यादा सोचे -समझे विज्ञापित चीजों का सेवन करके अपना स्वास्थ्य खराब करते रहते हैं। अगर इन लोगों से कुछ आसान से सवाल पूछे जायें तो कितने लोग संतोषप्रद उत्तर दे पायेंगे। सवाल हैं : क्या आप जानते हैं कि 1) कब, कैसे और कितना पानी पीना चाहिए 2) कब, कितना और क्या -क्या खाना चाहिए 3) स्वस्थ जीवन के लिये टहलना व व्यायाम क्यों अनिवार्य है 4) सोना (स्लीप) सोना (गोल्ड) से ज्यादा अहम क्यों है और 5) योग और ध्यान का जीवन में कितना महत्व है ? सच मानिये, यदि उपर्युक्त सवालों का सही जवाब नहीं मालूम है तो अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखना मुश्किल होगा। कहने का तात्पर्य, आपके लिये अपनी जीवनशैली में उपयुक्त बदलाव अनिवार्य है जिससे कि आप सदैव स्वस्थ एवं सानन्द रह सकें।
आशा करनी चाहिए कि हर वक्त काम और व्यस्तता की दुहाई देने वाले हमारे समाज के ऐसे जानकार तथा संपन्न लोग, जिनमें अच्छी संख्या डॉक्टरों की भी है, आगे से यह नहीं भूलेंगे कि ज्ञान और धन का सदुपयोग स्वास्थ्य को साधने में करना सदा ही सुखद और फलदायक होता है। यह हमारी युवा पीढ़ी के लिये उनका एक प्रेरक सन्देश होगा।
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
देश के जिन करोड़ों लोगों को अभी तक रोटी, कपड़ा, मकान जैसे मूलभूत आवश्यकताओं से जूझना पड़ रहा है, उनकी चर्चा यहाँ न भी करें तो भी यह जानना दिलचस्प होगा कि जिन लोगों के पास खाने, पहनने और रहने की कोई समस्या नहीं है, ऐसे लोग भी कैसी -कैसी बिमारियों के शिकार हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
ऐसे लोग खाने -पीने के मामले में सुबह से रात तक कितने -कितने और कैसे -कैसे अच्छे -बुरे विज्ञापन देखते रहते हैं और बिना ज्यादा सोचे -समझे विज्ञापित चीजों का सेवन करके अपना स्वास्थ्य खराब करते रहते हैं। अगर इन लोगों से कुछ आसान से सवाल पूछे जायें तो कितने लोग संतोषप्रद उत्तर दे पायेंगे। सवाल हैं : क्या आप जानते हैं कि 1) कब, कैसे और कितना पानी पीना चाहिए 2) कब, कितना और क्या -क्या खाना चाहिए 3) स्वस्थ जीवन के लिये टहलना व व्यायाम क्यों अनिवार्य है 4) सोना (स्लीप) सोना (गोल्ड) से ज्यादा अहम क्यों है और 5) योग और ध्यान का जीवन में कितना महत्व है ? सच मानिये, यदि उपर्युक्त सवालों का सही जवाब नहीं मालूम है तो अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखना मुश्किल होगा। कहने का तात्पर्य, आपके लिये अपनी जीवनशैली में उपयुक्त बदलाव अनिवार्य है जिससे कि आप सदैव स्वस्थ एवं सानन्द रह सकें।
आशा करनी चाहिए कि हर वक्त काम और व्यस्तता की दुहाई देने वाले हमारे समाज के ऐसे जानकार तथा संपन्न लोग, जिनमें अच्छी संख्या डॉक्टरों की भी है, आगे से यह नहीं भूलेंगे कि ज्ञान और धन का सदुपयोग स्वास्थ्य को साधने में करना सदा ही सुखद और फलदायक होता है। यह हमारी युवा पीढ़ी के लिये उनका एक प्रेरक सन्देश होगा।
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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