- मिलन सिन्हा
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
जनता ने चुनकर भेजा है
चुन- चुनकर खायेंगे
पांच साल बाद खाने का कारण
विस्तार से उन्हें बतायेंगे
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
हीरा-मोती, सोना-चांदी तो है ही
बस थोड़ा और रुक जाइये
जंगल,जमीन के साथ साथ
कोयला भी सब खा जायेंगे
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
छोड़ दिया जब लज्जा व शर्म
तब काहे का कोई गम
जारी रहेगा यूँ ही खाने का खेल
फूटे करम तभी जाना पड़ेगा जेल
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
खाने का अब चल पड़ा एक सिलसिला है
सचमुच,खाना विज्ञानं नहीं एक कला है
खाते- खाते लोग कहाँ - कहाँ पहुँच जाते हैं
क्या ऐसे पराक्रमी लोग कभी पछताते हैं ?
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :18.09.2013
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
जनता ने चुनकर भेजा है
चुन- चुनकर खायेंगे
पांच साल बाद खाने का कारण
विस्तार से उन्हें बतायेंगे
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
हीरा-मोती, सोना-चांदी तो है ही
बस थोड़ा और रुक जाइये
जंगल,जमीन के साथ साथ
कोयला भी सब खा जायेंगे
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
छोड़ दिया जब लज्जा व शर्म
तब काहे का कोई गम
जारी रहेगा यूँ ही खाने का खेल
फूटे करम तभी जाना पड़ेगा जेल
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम
खाने का अब चल पड़ा एक सिलसिला है
सचमुच,खाना विज्ञानं नहीं एक कला है
खाते- खाते लोग कहाँ - कहाँ पहुँच जाते हैं
क्या ऐसे पराक्रमी लोग कभी पछताते हैं ?
कसमें वादे निभायेंगे न हम
मिलकर खायेंगे जनम जनम !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :18.09.2013
No comments:
Post a Comment