Thursday, August 15, 2013

कविता : अटल हैं, अटल ही रहेंगे

                                                                                    - मिलन सिन्हा 

कवि के चेहरे पर 
गंभीरता घिर आई है. 
एक साथ कई चुनौतियां
सामने जो फिर आई है. 
प्रधानमंत्री की भी 
बड़ी भारी है जिम्मेदारी. 
पर ये भी हैं 
अपने 'अटल' बिहारी.
इन्होंने किसी भी परिस्थिति में 
कभी न मानी हार. 
हर चुनौती को इन्होंने 
हंसकर किया स्वीकार.
जानते हैं, 
इनके इस गुण की 
इनके विरोधी भी तारीफ़ करते हैं. 
जनाब परवेज जैसे लोग भी अब 
इनसे सहमे -सहमे से रहते हैं.
इनके भोले-भाले चेहरे के पीछे 
दृढ़ संकल्प है, फौलादी इरादा है. 
आतंकवाद को भी ख़त्म करेंगे, 
देश से इनका यह वादा है.
जो कहा है,
जरुर कर दिखायेंगे. 
देश से किया 
हर वादा वे निभाएंगे 
हर भारतीय का 
दुःख-दर्द कम करेंगे. 
सुख-शान्ति का 
नया इतिहास लिखेंगे. 
और फिर 
खुद भी कविता रचेंगे. 
अटल हैं, अटल ही रहेंगे.
15 अगस्त, 2001 को रचित (आगरा वार्ता के बाद)

और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

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