- मिलन सिन्हा
खेलो खेल
देखो बच्चों, नभ को देखो
देखो चाँद - सितारे देखो।
एक शाम कुछ बादल आए,
नभ में आकर जाल बिछाए।
हवा चली तो शोर हुआ,
बारिश हुई, फिर भोर हुआ।
कोयल कूकी, कौआ बोला,
निकलो बच्चों, आया भोला।
खूब प्यार से खेलो खेल,
होगा फिर तुम सबमें मेल।
('नंदन' में जुलाई,2009 में प्रकाशित )
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
खेलो खेल
देखो बच्चों, नभ को देखो
देखो चाँद - सितारे देखो।
एक शाम कुछ बादल आए,
नभ में आकर जाल बिछाए।
हवा चली तो शोर हुआ,
बारिश हुई, फिर भोर हुआ।
कोयल कूकी, कौआ बोला,
निकलो बच्चों, आया भोला।
खूब प्यार से खेलो खेल,
होगा फिर तुम सबमें मेल।
('नंदन' में जुलाई,2009 में प्रकाशित )
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
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