- मिलन सिन्हा
अंतर
एक वह था
जो
हमेशा ऊंचे पहाड़ों
एवं
ऊंची अट्टालिकाओं से
प्रेरणा लेता रहा
और निरंतर
भागता रहा ऊपर
कभी
भूल कर भी
नीचे नहीं देखा ।
और एक मैं था
जो
बराबर गड्ढों और नालों को
ढूंढ़ता रहा
कीड़े बीनता रहा
एवं
उन कीड़ों को
धोकर, साफकर
एक नया रूप देने की
कोशिश करता रहा ।
और आज
जब कि वह
अंतरिक्ष में काल कोठरियां खोज रहा है
मैं
यहाँ की काल कोठरियों को
धो-पोंछ कर
एक नया रूप देने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।
('समग्रता' में अगस्त '79 में प्रकाशित )
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
अंतर
एक वह था
जो
हमेशा ऊंचे पहाड़ों
एवं
ऊंची अट्टालिकाओं से
प्रेरणा लेता रहा
और निरंतर
भागता रहा ऊपर
कभी
भूल कर भी
नीचे नहीं देखा ।
और एक मैं था
जो
बराबर गड्ढों और नालों को
ढूंढ़ता रहा
कीड़े बीनता रहा
एवं
उन कीड़ों को
धोकर, साफकर
एक नया रूप देने की
कोशिश करता रहा ।
और आज
जब कि वह
अंतरिक्ष में काल कोठरियां खोज रहा है
मैं
यहाँ की काल कोठरियों को
धो-पोंछ कर
एक नया रूप देने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।
('समग्रता' में अगस्त '79 में प्रकाशित )
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
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