Thursday, January 31, 2013

आज की कविता : विडंबना

                                                            - मिलन सिन्हा 
विडंबना 
कल तक 
वह 
कुछ  नहीं था 
कोई महत्व नहीं था उसका 
हमारे समाज के लिए 
पर, 
आज जब कि 
उसे 
उसके कल के कामों के लिए ही 
सरकारी  प्रतिष्ठा प्राप्त  हुई है 
वह एकाएक 
महत्वपूर्ण हो उठा है 
महान हो गया  है  
सबके लिए 
न जाने क्यों ?

('समग्रता' में अगस्त '79 में प्रकाशित )

                                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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