- मिलन सिन्हा
पहले भी कई बार
काम दो, रोटी दो का नारा लगाया था
प्रदर्शन किया था
आन्दोलन तक किया था
पर उन्होंने न तो काम दिया
और
न ही आजादी के साथ रोटी
हाँ, इस अपराध में
जेल में जरूर डाल दिया
वहाँ कभी बेहद नमकवाला खिचड़ी मिला
तो कभी जली हुई या अधपकी रोटी
जिसे खाते हुए लगता
जैसे अपनी आजादी खा रहा हूँ
अपना अस्तित्व चबा रहा हूँ
फिर भी भरता रहा पेट आधा ही सही
लेकिन,
अब तो प्रदर्शन - आंदोलन की बात से
कुछ चिन्ता होती है
आँखें फोड़े जाने का डर होता है
तो पिस्सूवाली दाल न खाने की बात पर
गोली खाने की संभावना रहती है
ऐसे में, अब मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ
कोई मुझे ज़रा बता दे !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
पहले भी कई बार
काम दो, रोटी दो का नारा लगाया था
प्रदर्शन किया था
आन्दोलन तक किया था
पर उन्होंने न तो काम दिया
और
न ही आजादी के साथ रोटी
हाँ, इस अपराध में
जेल में जरूर डाल दिया
वहाँ कभी बेहद नमकवाला खिचड़ी मिला
तो कभी जली हुई या अधपकी रोटी
जिसे खाते हुए लगता
जैसे अपनी आजादी खा रहा हूँ
अपना अस्तित्व चबा रहा हूँ
फिर भी भरता रहा पेट आधा ही सही
लेकिन,
अब तो प्रदर्शन - आंदोलन की बात से
कुछ चिन्ता होती है
आँखें फोड़े जाने का डर होता है
तो पिस्सूवाली दाल न खाने की बात पर
गोली खाने की संभावना रहती है
ऐसे में, अब मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ
कोई मुझे ज़रा बता दे !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
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