Wednesday, November 7, 2012

तीन लघु कविताएं : भयानक, सराहनीय, उपदेश

                                                                                        - मिलन सिन्हा 
भयानक 
मौत 
भयानक है, 
किसके लिए ?
जो इसकी 
अनिश्चितता से 
डर  गया, 
उसके लिए !

सराहनीय
सुन्दरता 
सराहनीय  है, 
कब ?
जब यह 
दूसरे को भी 
सुन्दर होने का 
बोध कराए, 
तब !

उपदेश
उपदेश दो, 
किसे ?
जो इसे 
मानने से पहले 
जांचे - परखे, 
उसे !
 # जीवन साहित्य के दिसम्बर '८१ अंक में प्रकाशित

            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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