Wednesday, November 7, 2012

हास्य व्यंग्य कविताएं : महंगाई और भ्रष्टाचार, आधुनिक परिभाषा


हास्य व्यंग्य कविताएं         
                                                                   0 मिलन सिन्हा  
महंगाई और भ्रष्टाचार 
काफी समय से 
पति पत्नी के बीच 
चल रही थी तकरार 
पर कोई भी अपनी हार 
स्वीकारने को 
नहीं थे तैयार .
तभी पत्नी बोली,
तुम मुझे मत धमकाओ 
वरना, मैं महंगाई  बन जाऊंगी 
और तुम पर तो क्या 
पूरे देश पर छा जाऊंगी .
तैश में आकर तब 
पतिदेव ने फरमाया,
ठीक है, मैं भी तब 
भ्रष्टाचार बन जाऊंगा 
और केवल
अपने देश पर ही नहीं 
पूरे विश्व पर छा जाऊंगा .

आधुनिक परिभाषा 
एक आधुनिक पत्नी ने 
अपने पति को
'पतिव्रता' शब्द का
अर्थ यूं समझाया 
कि 'पति' से महीने   
दस दिन निराहार 'व्रत' रखवाया .

                              और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं 
           

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