Thursday, November 22, 2012

आज की कविता : चौराहे पर खड़े हम

                                                                       *  मिलन  सिन्हा
garib








चौराहे पर खड़े हम
जिसके सहारे था, उसी ने मुझे बेसहारा किया
साहिल ने भी  अब  मुझसे  किनारा किया।

दिन गुजर गया, पर किसी ने खबर न ली
शाम को उसने मुझे दूर से  इशारा किया।

खट्टी-मीठी यादों का नाम है मेरी जिंदगी
यादों के सहारे ही हमने अबतक गुजरा किया।

जो  कुछ  झूठ  है, वही  सब  सच  है  यहाँ
देश के कर्णधारों (?) ने तैयार यह नारा किया।

जो गन्दा है, भूखा है, नंगा है, उसे मत देखो 
उन्होंने  हिदायत दी, पर मैंने वही दुबारा किया।

कौन  थे  वे  लोग, कहाँ  गए  वे  लोग 
जिन्होंने हमें आज चौराहे पर खड़ा किया।

#  प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित

                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं

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