- मिलन सिन्हा
मोह
जीवन
आनन्ददायक है,
किसके लिए ?
जिसने
इसका मोह
त्याग दिया है,
उसके लिए !
कारगर
स्वतन्त्रता
कारगर है,
कब ?
इसके साथ जब
रोटी भी हो,
तब !
महान
आदमी
महान बनेगा,
कब ?
वह जब
'मैं' से निकल कर
'ममेतर' में जायेगा,
तब !
# जीवन साहित्य के दिसम्बर '८१ अंक में प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
मोह
जीवन
आनन्ददायक है,
किसके लिए ?
जिसने
इसका मोह
त्याग दिया है,
उसके लिए !
कारगर
स्वतन्त्रता
कारगर है,
कब ?
इसके साथ जब
रोटी भी हो,
तब !
महान
आदमी
महान बनेगा,
कब ?
वह जब
'मैं' से निकल कर
'ममेतर' में जायेगा,
तब !
# जीवन साहित्य के दिसम्बर '८१ अंक में प्रकाशित
और भी बातें करेंगे, चलते चलते। असीम शुभकामनाएं।
Nice poems.SG
ReplyDeleteTeeno mai se "Kargar" sabse achi lagi.
ReplyDelete