- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
अपने मोटिवेशन और वेलनेस सेशन में स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के साथ चर्चा और विचार-विमर्श के दौरान मुझसे कई बार यह पूछा जाता है कि छात्र जीवन में सफलता के अहम मंत्र क्या हैं? सब जानते हैं कि सतत सफलता हासिल करने के लिए आदत और कार्यशैली में सभी अच्छी बातों को शामिल करते जाना और समय व परिस्थिति के हिसाब से उसका सदुपयोग करना नितांत जरुरी होता है. फिर भी, खासकर परीक्षा या किसी इवेंट या टेस्ट को सन्दर्भ में रखकर बात करें, जिसमें विद्यार्थीगण समय-समय पर शामिल होते रहते हैं, तो 4-पी फार्मूला अपनाकर छात्र-छात्राएं सफलता को साध सकते हैं. यहां 4-पी का मतलब है पैशन, प्लानिंग, प्रिपरेशन, परफॉरमेंस. अभी-अभी समाप्त हुए आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट में शामिल टॉप चार टीमों ने भी मोटे तौर पर इसी फार्मूला को अच्छी तरह अमल में लाया. आइए, इनकी अहमियत पर थोड़े विस्तार से चर्चा करते हैं.
पैशन यानी जुनून या प्रबल मनोभाव. अमेरिकी लेखक व वक्ता एरिक थॉमस कहते हैं, "मुझे अलार्म क्लॉक की जरुरत नहीं. मेरा जुनून ही मुझे जगा देता है." स्वामी विवेकानंद ने इसे बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "तुम जब भी कोई काम करो, तब अन्य किसी बात का विचार मत करो. उस काम को इस तरह करो जैसे वह कोई बड़ी उपासना हो और उस वक्त उसमें अपना सारा तन-मन लगा दो." सही है. जब कोई भी विद्यार्थी अपनी परीक्षा या स्टडी के प्रति प्रबल मनोभाव से कोशिश करता है तो अच्छे परिणाम मिलते ही हैं. अपने काम के प्रति एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स के पैशन और उनकी अदभुत सफलता से सभी विद्यार्थी परिचित हैं.
प्लानिंग अर्थात योजना. सभी विद्यार्थियों को इसकी अहमियत मालूम है. सब इसको अपने जीवन में महत्व भी देते हैं . लेकिन कितना? यह बड़ा सवाल है. अनेक मैनेजमेंट एक्सपर्ट्स ने अपने-अपने अंदाज में इस बात को स्वीकार किया है कि बिना प्लानिंग के आगे बढ़ने का मतलब है हार की प्लानिंग के साथ चलना. मैनेजमेंट गुरु डेल कार्नेगी कहते हैं कि "एक घंटे की सही प्लानिंग से आप अपने काम में दस घंटे बचा सकते हैं." आपने भी देखा होगा कि कई विद्यार्थी बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन बिना किसी प्लानिंग के. लिहाजा उनको अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है. अतः हर परीक्षा से पहले आपकी प्लानिंग फूल प्रूफ और अमल में लाने योग्य होनी चाहिए जिस पर फोकस करके आप अंतिम परिणाम को आसानी से हासिल कर सकें.
प्रिपरेशन मतलब तैयारी. बिना अच्छी तैयारी के सक्सेस की कल्पना बेतुकी है. और अधूरी तैयारी से अधूरा रिजल्ट ही मिलता है. अच्छी तैयारी का मतलब होता है सभी पक्षों पर सोच-विचार कर कार्ययोजना के अनुरूप मंजिल की ओर बढ़ते जाना. विद्यार्थियों के लिए हर परीक्षा महत्वपूर्ण होता है, बेशक वह छोटी-बड़ी कोई भी परीक्षा हो. अतः तैयारी में अपनी तरफ से कोई कमी न रह जाए, इसका पूरा ध्यान रखना जरुरी है. परीक्षा के प्रति आपकी यह सोच धीरे-धीरे आपकी आदत बन जाती है जो आपके लिए सदा एक विनिंग टूल साबित होता है. ऐसा करना मुश्किल नहीं है. बस अपनी प्लानिंग और उस पर आधारित एक्शन प्लान को अमल में लाने में जुट जाना है. काम के प्रति पैशन से यह आसान हो जाता है.
परफॉरमेंस यानी कार्य निष्पादन. अंततः परफॉरमेंस में ही रिफ्लेक्ट होता है किसी भी विद्यार्थी का पैशन, प्लानिंग और प्रिपरेशन. दीगर बात है कि सब कुछ करने के बाद भी अगर कार्य निष्पादन ही अपेक्षित रूप में नहीं कर पाए तो रिजल्ट अपेक्षित कैसे होगा? कहते हैं न कि जब आप सफल हो जाते हो तो फिर बाकी बातें खुद साफ़ हो जाती हैं. यहां सफलता का अर्थ सकारात्मक रूप से हासिल सफलता से है. अतः यह अनिवार्य है कि छात्र-छात्राएं यहां कोई कमी न छोड़ें. एक-एक छोटे-बड़े पॉइंट्स को नोट और रीवाइज करें. परीक्षा के लिए निर्धारित सभी विषयों से संबंधित सवालों का उत्तर समझकर लिखने का अभ्यास करें. इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा और परीक्षा के वक्त इसका लाभ मिलेगा जब आप नियत समय में सभी प्रश्नों का उत्तर देने में सफल होंगें. हां, हर ऐसे मौके पर विद्यार्थियों को विश्वविख्यात उद्योगपति और प्रबंधन महारथी हेनरी फोर्ड की यह बात याद रखनी चाहिए कि "ऐसा कोई भी इंसान मौजूद नहीं है जो उससे ज्यादा ना कर सके जितना कि वो सोचता है कि वो कर सकता है."
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.
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