- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...
देशभर में रोजगार का मुद्दा हर दिन समाचार पत्रों में किसी-न-किसी रूप में स्थान पाता है. बिहार विधानसभा के चुनाव में तो यह एक अहम मुद्दा है. बेरोजगार लोगों, खासकर शिक्षित बेरोजगारों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. सरकारी नौकरी को रोजगार का सबसे बड़ा जरिया मानने की भूल बहुत से जानकार लोग भी करते हैं और पब्लिक के बीच इसका भ्रम भी फैलाते हैं. हकीकत यह है कि उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में सरकारी नौकरी कुल रोजगार का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है और आनेवाले दिनों में इसकी संख्या बढ़ने की गुजाइश कम है. इसके विपरीत इस समय और भविष्य में निजी और कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी के बड़े अवसर मौजूद रहेंगे. स्वरोजगार का दायरा तो अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगा. इसके अनेक जाने-पहचाने कारण हैं.
यह सच है कि विकसित, विकासशील और अविकसित सभी देशों में करोड़ों लोग हैं, जिनके पास कोई रोजगार नहीं हैं. इनमें से बहुत सारे लोगों को जिनमें युवाओं की संख्या ज्यादा है, नियोक्ता दक्षता में कमी या प्रोफेशनल योग्यता में कमी का हवाला देकर रोजगार से वंचित रखते हैं. हाल के वर्षों में विश्व बैंक ने भी एकाधिक बार दुनिया के देशों से ऐसी शिक्षा पर जोर देने की बात कही है जो युवाओं को जॉब मार्केट के अनुरूप प्रशिक्षित और तैयार कर सके.
विद्यार्थियों को मालूम है कि प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया' और "आत्मनिर्भर भारत" का नारा दिया है और इसे अमल में लाने हेतु अनेक कदम उठा रहे हैं, जिससे कि देश में युवाओं को रोजगार मिले और देश आर्थिक रूप से मजबूत भी बने. इसके लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों से यह आह्वान किया गया है कि वे भारत में अपनी फैक्ट्री स्थापित कर यहां अपने उत्पादों का निर्बाध उत्पादन करें. दीगर बात है कि इस अभियान की सफलता के लिए जरुरी है कि देशी-विदेशी निवेशकों और उद्योगपतियों को भारत में अपेक्षित संख्या में कुशल कामगार मिले. ऐसी स्थिति में शिक्षा और रोजगार को आपस में जोड़ने और विद्यार्थियों को प्रोफेशनल कोर्सेज में शामिल होने का मौका देना अनिवार्य है, जिससे कि वे नए-नए कौशल से लैस हो सकें. खुशी की बात है कि नई शिक्षा नीति में इसपर यथोचित जोर दिया गया है. इस परिस्थिति में विद्यार्थियों के लिए भी यह जरुरी है कि वे इस बात को ध्यान में रखें कि अभी और आगे कौन-कौन से सेक्टर में रोजगार सृजन की ज्यादा संभावना है, जिससे कि वे उसके अनुरूप कोर्स में योग्यता हासिल कर सकें. आइए, उनमें से तीन बड़े सेक्टर की बात करते हैं जहां आनेवाले दिनों में रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे.
आईटी सेक्टर: सबको मालूम है कि डिजिटलाईजेसन के इस दौर में कमोबेश छोटे-बड़े सभी कारोबार इंटरनेट और कंप्यूटर आधारित होते जा रहे हैं. सरकारी नौकरी हो या कॉरपोरेट जॉब या अपना व्यवसाय-व्यापार या फिर जीएसटी से लेकर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की बात हो, कंप्यूटर की उपयोगिता ज्यादा व्यापक होती जा रही है. कोरोना काल में व्यवसाय परिचालन और व्यक्तिगत जरूरतों के लिए ऑनलाइन-डिजिटल लेनदेन में एक बड़ा उछाल देखा जा रहा है. अतः आईटी और उससे संबंधित सेक्टर में जॉब की संख्या आनेवाले दिनों में काफी बढ़नेवाली है.
फार्मा सेक्टर: कोरोना महामारी ने मोटे तौर पर लोगों को अपने और अपने परिवार के हेल्थ के प्रति पहले की तुलना में ज्यादा जागरूक बनाया है. आयुर्वेदिक मेडिसिन की ओर लोगों का रुझान बहुत बढ़ा है और इस बीच उनके टर्नओवर में अच्छी वृद्धि की बात सभी मार्केट विशेषज्ञ मान रहे हैं. मॉडर्न मेडिकल फैसिलिटी को व्यापक और उन्नत करने का एक नया दौर शुरू हो चुका है. मिशन इन्द्रधनुष कार्यक्रम और पीएम जनआरोग्य योजना के तहत बड़े स्तर पर हेल्थ एंड मेडिकल केयर सुविधा के विस्तार पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही फार्मास्यूटिकल कंपनियों और प्राइवेट अस्पतालों के बिज़नेस में बेहतर ग्रोथ का संकेत व अनुमान है. स्वाभाविक रूप से इस सेक्टर में नौकरी और रोजगार की संभावना पहले से बहुत ज्यादा होगी.
टूरिज्म सेक्टर: इस क्षेत्र का दायरा बहुत व्यापक और संभावनाओं से भरा है. लिहाजा यहां युवाओं के लिए सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में अनेक प्रकार के मौके उपलब्ध हैं. राजमार्गों के तीव्र विकास के साथ-साथ पासपोर्ट-वीसा नियमों में सकारात्मक बदलाव के बाद इस क्षेत्र में उच्च वृद्धि की पूरी संभावना है. इस क्षेत्र से जुड़े कोर्सेज में योग्यता प्राप्त करने के पश्चात छात्र-छात्राएं एयरलाइन्स, होटल, टूर-ट्रेवल, मेडिकल टूरिज्म आदि में अनेक तरह की नौकरी और रोजगार के योग्य बन पाते हैं.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.
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