Friday, December 11, 2020

सावधान रहें, सुरक्षित रहें

                             - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ... ...

कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में, जब अनलॉक को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की  कोशिश जारी है, धीरे-धीरे ही सही स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी भी खुलने लगे हैं. कोविड-19 के संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए वैक्सीन की उपलब्धता में अभी कुछ और महीनों  का समय लग सकता है. कोरोना वायरस से ग्रसित होनेवाले लोगों के लिए सटीक दवा भी बाजार में अब तक नहीं आ पाई है, तथापि कई सकारात्मक कारणों से संक्रमित लोगों के ठीक होने का प्रतिशत बेहतर हो रहा है. यह अच्छी स्थिति है, पर संक्रमण का खतरा बरकरार है और आसन्न जाड़े के मौसम में इसके बिगड़ने की संभावना की बात मेडिकल एक्सपर्ट भी कर रहे हैं.


कतिपय कारणों से हमारे देश में कुछ लोगों द्वारा नियम और दिशानिर्देश के अनुपालन में गंभीरता का अभाव दिखता है, लेकिन उसका दुष्प्रभाव  सभी झेलते हैं. कोरोना काल में भी स्थिति  कमोबेश वैसी  ही रही है और इसी वजह से इतने लम्बे लॉक डाउन और क्रमिक अनलॉक की अवधि के बावजूद जितनी सुधार की अपेक्षा और गुंजाइश थी, उतना नहीं हो पाया है. हां, तुलनात्मक रूप से हमारे देश की स्थिति कई अन्य देशों से बेहतर है. यह संतोष का विषय है.
खैर, अब जब कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी अध्ययन आदि के लिए घर से बाहर निकलेंगे, तो कोरोना के संक्रमण की चुनौती बहुत बड़ी होगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. एक और बात है. छह महीने से ज्यादा घर में रहने के बाद जब छात्र-छात्राओं को दोस्तों-सहपाठियों से मिलने का मौका मिलेगा तब क्या  सावधानी का समुचित पालन हो पायेगा, जिसका दिशानिर्देश सरकार निरंतर जारी करती रही है? 


रेल यात्रा के दौरान विद्यार्थियों ने कई स्थानों पर यह लिखा हुआ देखा होगा कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. बिल्कुल यही बात इस समय लागू होती है, शायद कुछ ज्यादा ही.
यह सही है कि हर शिक्षण संस्थान में कुछ विद्यार्थी ऐसे होंगे जो लापरवाह और गैरजिम्मेदार होंगे, लेकिन अगर बाकी विद्यार्थी, जिनकी संख्या 95 प्रतिशत से कम नहीं होगी,  सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें तो कोरोना के संक्रमण से एक बड़े हद तक बचे रहना संभव हो पायेगा. फिर भी  इस मुद्दे पर  स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी प्रशासन को सोच-विचार कर एक प्रभावी प्रोटोकॉल तैयार करना पड़ेगा और उसे सख्ती से लागू भी करना पड़ेगा. इसमें अभिभावकों और जिला प्रशासन की भूमिका भी अहम होगी. एक जरुरी बात और. तीन अहम गाइडलाइन - दो गज की दूरी, मास्क पहनना और साबुन से समय-समय पर ठीक से हाथ धोना, के अनुपालन के साथ-साथ निम्नलिखित बातों को भी सभी विद्यार्थी अमल में लाएं तो उन्हें बहुत लाभ होगा.  


1) घर लौटकर पहले शरीर और कपड़े को साबुन-पानी से साफ़ कर लें. ऐसे आरामदेह और वाशेवल कपड़े पहनकर बाहर जाएं जिससे शरीर कमोबेश ढका रहे. इसे घर लौटकर तुरत वाश कर लें. कहने का आशय यह कि एक ड्रेस को बिना साबुन या डिटर्जेंट से धोए दुबारा न पहनें. हेल्दी लाइफ हेतु पर्सनल हाइजीन की अहमियत  तो हर विद्यार्थी को अच्छी तरह मालूम है. 2)  बाहर से ले कर आए कॉपी-किताब, लैपटॉप, फाइल, मोबाइल आदि को सेनिटाइज कर एक सुरक्षित स्थान पर रखें. घर में उनका इस्तेमाल करने से पहले उन्हें दुबारा सेनिटाइज कर लें तो अच्छा.
3) रोज सुबह-शाम तुलसी, काली मिर्च, लोंग, दालचीनी और अदरक से बना एक कप काढ़ा  चाय  की तरह पीएं. आंवला, नींबू सहित विटामिन सी बहुल चीजों के सेवन के साथ-साथ अन्य आसान तरीकों से अपने इम्यून सिस्टम को हमेशा स्ट्रांग बनाए रखने का प्रयास जारी रखें. सम्प्रति इसकी जरुरत अपेक्षाकृत अधिक है. 4) घर का बना पौष्टिक और सुपाच्य खाना ही खाएं, बेशक मन फ़ास्ट फ़ूड या नॉन वेजीटेरियन या चटपटा खाने के लिए मचलता हो. "हम बीमार तो घर परेशान, अपनी पढ़ाई-लिखाई में भी नुकसान" वाली बात को बराबर ध्यान में रखें. अपने साथ टिफ़िन और पानी फिलहाल घर से ही ले जाएं. जो ले गए हैं उसे ही खाएं. दूसरों से  न अपना खाना साझा करें और न ही उनके प्लेट या टिफ़िन से कुछ खाएं. फिलहाल उनसे भावनात्मक भाईचारा निभाएं. हो सके तो गुनगुना पानी पीने की आदत डालें. इससे स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ होंगे. सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने से अभी जितना बच सकें, उतना अच्छा. रोज रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर डाल कर पीएं. 5) सबसे महत्वपूर्ण  बात यह कि हर हालत में अपने सोच को पॉजिटिव बनाए रखें. इसका सेहत पर  गहरा सकारात्मक असर होता है. 

 (hellomilansinha@gmail.com) 


            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं.               
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" में 25.10.2020 को प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com  

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