- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर... ....
हम सब अच्छी तरह जानते हैं कि जीवन में सक्रियता का बहुत महत्व है. सक्रियता से मेरा तात्पर्य यहां सकारात्मक सक्रियता से है. जो लोग एक्टिव रहते हैं, देखा गया है कि वे लोग ज्यादा प्रोडक्टिव बने रहते हैं. छात्र-छात्राओं पर भी यह बात लागू होती है. मौजूदा दौर में नियोक्ता ऐसे उम्मीदवार की तलाश में रहते हैं जो संस्थान की प्रोडक्टिविटी में लगातार योगदान करते रहें. इसके मद्देनजर विद्यार्थियों को शुरू से ही एक्टिव रहने की आदत डालने की जरुरत होगी.
अगले तीन महीने में सीबीएसई की प्लस टू यानी बारहवीं की मुख्य परीक्षा शुरू होगी. प्री बोर्ड की परीक्षा तो जल्द शुरू होगी. स्टेट बोर्ड द्वारा संचालित परीक्षाएं भी कमोबेश इसी दौरान होंगी. बताने की जरुरत नहीं कि हर विद्यार्थी के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्रिय रहना आगामी परीक्षा के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए भी बहुत अहम है. उनकी बुनियाद मजबूत होगी तभी जाकर वे जीवन में बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने में खुद को सक्षम रख पायेंगे.
प्रकृति के मूल चरित्र को देखें या देश-विदेश के महान लोगों की दिनचर्या को, आपको हर जगह सक्रियता दिखाई देगी. इनमें खेलकूद सहित अन्य शारीरिक गतिविधियां शामिल हैं. चौबीस घंटे के समय चक्र में सारे जरुरी कार्यों को सम्पन्न करने के लिए सक्रियता की अनिवार्यता से शायद ही कोई इन्कार कर सकता है. बावजूद इसके बहुत सारे विद्यार्थी सक्रिय जीवन नहीं जीते हैं. इसके एकाधिक दुष्परिणाम कई रोगों के रूप में विद्यार्थियों को झेलने पड़ते हैं. ऐसा तब होता है जब कि सभी जानते हैं कि शारीरिक सक्रियता से मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है.
सवाल है कि सक्रियता को अपनी आदत में शुमार करने के लिए क्या-क्या करना जरुरी होता है? सर्वमान्य तथ्य है कि सुबह की शुरुआत अच्छी हो तो दिन अच्छा गुजरता है. सुबह जल्दी उठना इसकी पहली शर्त है. कहा भी गया है कि रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से व्यक्ति स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान होता है. लिहाजा विद्यार्थियों के लिए सुबह उठकर पहले एक घंटे में अपने शरीर की आन्तरिक सफाई के साथ-साथ फिजिकल एक्सरसाइज और पौष्टिक आहार से शरीर को सक्रिय और इंधनयुक्त करना बहुत लाभकारी होता है. ऐसा पाया गया है कि बहुत सारे विद्यार्थी बगैर नाश्ता किए ट्यूशन या कोचिंग क्लास के लिए निकल जाते हैं और फिर देर-सबेर बाहर समोसा, कचौड़ी, पिज्जा, बर्गर जैसी कम पौष्टिक या नुकसानदेह चीजें खाकर पेट भरते हैं. यह स्वास्थ्य की दृष्टि से गलत बात है. ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी बेहतर तो यह होता है कि सुबह घर में पौष्टिक नाश्ता करने के बाद पिछले दिन जो कुछ भी पढ़ा है, पहले उसे एक बार लिखने का प्रयास करें. इससे उन्हें अपने दिमाग को सक्रिय करने का मौका मिलेगा और यह भी पता चलेगा कि उन्होंने कल जो पढ़ा था वह कितना समझ में आया और उसमें से कितना वे वाकई कागज़ पर उतार पा रहे हैं. अगर इसमें कुछ कमी रह जाती है तो तुरत उसे फिर से अच्छी तरह पढ़ें और फिर उसे लिखने का प्रयास करें. ऐसा कर लेने के बाद 10-15 मिनट का ब्रेक लें. बाहर निकलें या खिड़की से बाहर देखें या आंख बंद करके दीर्घ श्वास लें या बस आराम से बैठें या लेटे रहें. कहने का आशय यह कि इस दौरान बॉडी और माइंड को रिलैक्स करने दें जिससे कि वे फिर से रिचार्ज हो सकें. इसके बाद आज जो कुछ पढ़ने के लिए तय किया है, उसमें जो सबसे कठिन जान पड़ता है, उसे पहले पढ़ें - तन्मयता और एकाग्रचित्त होकर. फिर भी अगर बातें पूरी तरह समझ में न आए तो एक बार फिर पढ़ें. आप पायेंगे कि अधिकतर मामलों में आपको कठिन विषय भी अपेक्षाकृत ज्यादा आसानी से समझ में आने लगेगी. सुबह के इस बेहतर प्रबंधन से न केवल आपको अपने कोर्स को अच्छी तरह पूरा करने में सफलता मिलेगी बल्कि इससे आपका आत्मविश्वास में बहुत इजाफा होगा. इतना ही नहीं, आप दिनभर के अन्य सभी टास्क को इसी सक्रियता से पूरा करने को उत्साहित और प्रेरित होंगे.
दिलचस्प बात है कि इस तरह सक्रिय रहकर पढ़ाई-लिखाई, खाना-पीना, खेलकूद आदि में व्यस्त रहने से छात्र-छात्राएं प्रोडक्टिव बने रहने के साथ-साथ आनंदित भी रहते हैं, क्यों कि उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल और अपने सपनों को साकार करने का विश्वास होने लगता है. इसका परिणाम यह होता है कि वे अमूमन तनावमुक्त रहते हैं और अच्छी नींद का सुख ले पाते हैं. कहने की जरुरत नहीं कि ऐसे विद्यार्थी जीवन में सफल तो होते ही हैं, स्वस्थ और सानंद भी रहते हैं.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 08.12.2019 अंक में प्रकाशित
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