Sunday, December 9, 2018

आत्मविश्वास से मिलेगी मंजिल, बढ़ते रहें आगे

                                  - मिलन  सिन्हामोटिवेशनल स्पीकर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट ...
ऐसे तो आजकल हर उम्र का आदमी तनाव से थोड़ा या ज्यादा परेशान दिखता है. लेकिन तेज रफ़्तार जिंदगी में ‘यह दिल मांगे मोर’ की अपेक्षा के साथ जीनेवाले लोगों में तनाव का स्तर कुछ ज्यादा ही होता है. वैसे देखा जाए तो तनाव से आदमी का रिश्ता कोई नया नहीं है. समय के हर दौर में लोग कम या अधिक तनाव से ग्रसित रहे हैं, खासकर वे लोग जो अवैध, अनैतिक एवं अवांछित तरीके से सिर्फ अपना मतलब साधने में विश्वास करते हैं. 

बहरहाल, परीक्षा के मौसम में स्कूली बच्चे एवं युवा तनाव से कुछ ज्यादा ही परेशान रहते हैं.  ऐसे समय डर एवं आशंका के कारण तनाव में इजाफा होता है. इसके कई कारण हैं- वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों. तनाव की इस अवस्था में उनकी सहजता, सरलता एवं स्वभाविकता दुष्प्रभावित होती है. उलझन, परेशानी और तनाव अनावश्यक रूप से बढ़ जाते हैं. अधिकतर मामलों में अभिभावक–शिक्षक या प्रियजन इसे ठीक से समझ नहीं पाते हैं या समझकर भी तत्काल बच्चे से खुलकर बात नहीं करते. ऐसे में  बच्चे का कॉनफ्यूज़न बढ़ता जाता है. कई बार तो अपनी भावनाओं और परेशानियों को साझा करना संभव नहीं दिखता. तब बच्चे अपने-आप को असहाय, अकेला और लाचार समझने लगते हैं. और कभी-कभी तो कई तरह के आत्मघाती फैसला कर लेते हैं. 

सवाल है कि आखिर इस तरह की स्थिति से बच्चे कैसे बचें और उबरें जिससे  चुनौतियों का डटकर सामना कर सकें, परीक्षा में बेहतर कर सकें?  

जानकार मानते हैं कि थोड़ा तनाव तो अच्छा होता है; एक ड्राइविंग फ़ोर्स की तरह काम करता है जो हमें थोड़ी तीव्रता से कुछ करने को प्रेरित करता है. ऐसे समय शरीर के सारे अंग कुछ ज्यादा सक्रियता एवं नियोजित ढंग से काम को अंजाम देने में जुट जाते हैं. हम असहज या असामान्य होने के बजाय सहज और सामान्य तरीके से कुछ ज्यादा फोकस होकर काम करते हैं क्यों कि पूरा ध्यान लक्ष्य को प्राप्त करने में लगा रहता है. मजे की बात यह कि इस तरह का तनाव अल्पकालिक होता है और काम  के पूरा होने या सफल होने पर ज्यादा ख़ुशी का एहसास भी करवाता है. 

हां, बराबर तनाव ग्रस्त रहना वाकई चिंता का विषय है, वो भी परीक्षा के समय. लिहाजा, तनाव के मूल कारण को जानने–समझने का प्रयास करें और फिर चिंता छोड़कर अपेक्षा प्रबंधन, प्राथमिकता निर्धारण, समय प्रबंधन, योजनाबद्ध तैयारी, नियमित अभ्यास के साथ ही आकस्मिक परिस्थिति एवं परिवर्तन को दिल से स्वीकार करते हुए आगे बढ़ने की यथासाध्य कोशिश करें. इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और तनाव भी बहुत कम होगा. परीक्षा के समय अपनी सामान्य दिनचर्या को तिलांजलि न देकर अपने खाने-सोने आदि को भी यथासंभव ठीक रखें. इससे आपका शरीर उस महत्वपूर्ण समय में यथोचित उर्जा और उत्साह से लबरेज रहेगा. एक बात और. जब भी जरुरत महसूस हो तो सोशल मीडिया में समाधान तलाशने के बजाय अपने अभिभावक-शिक्षक–गुरुजन से अपनी परेशानी साझा करें और उनके सुझावों पर अमल करें. बहुत लाभ होगा.       (hellomilansinha@gmail.com) 


                      और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
# दैनिक जागरण में 09.12.18 को प्रकाशित

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