- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एवं लेखक
देश-विदेश सब जगह अच्छाई और सच्चाई के साथ जीनेवाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी है. वे मेहनत से पीछे नहीं हटते. संघर्ष को वे साथी मानते हैं और अपनी स्थिति को मजबूत करने का सतत प्रयास करते हैं. शार्ट-कट में उनका विश्वास नहीं होता. वे जीवन को एक खूबसूरत यात्रा समझते हैं. यात्रा के उतार –चढ़ाव, आसानी-परेशानी, सफलता-असफलता और ख़ुशी–गम के बीच से तमाम अनुभूतियों–अनुभवों को समेटते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं. वे जानते और मानते हैं कि हर रात के बाद एक नई सुबह आती है, आशा और उमंग का संचार करती है. उनके जीवन में जो भी चुनौतियां आती हैं उसका समाधान पाने में वे पूरे सामर्थ्य से लग जाते हैं. वे असफलता को सिर पर रखते हैं और सफलता को दिल में. वे जानते हैं कि असफलता का निरपेक्ष विश्लेषण करके उसके पीछे के कारणों को बेहतर ढंग से जानना संभव होता है और आगे की कार्ययोजना में उन सीखों को इस्तेमाल करना सर्वथा अपेक्षित और बेहतर होता है.
हर मनुष्य के जीवन में कभी–न-कभी कोई बड़ी समस्या आती है, कई बार तो बार-बार आती है; छोटे-छोटे अंतराल में आती रहती है, उस समय ऐसे लोग उत्तेजित, क्रोधित, आतंकित या भयभीत होने के बजाय ज्यादा शांत रहने का प्रयत्न करते हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि समस्या आने पर जब हम विचलित, असंतुलित व असामान्य हो जाते हैं तब उस समस्या को सुलझाने की हमारी शक्ति कम हो जाती है, कारण ऐसे वक्त मन-मस्तिष्क में उलझन का जाल मजबूत हो जाता है और समाधान आसान होने पर भी नामुमकिन प्रतीत होने लगता है. इसके विपरीत, थोड़ी देर शांत रहने और फिर समस्याविशेष का नए सिरे से विश्लेषण करने एवं उसका समाधान तलाशने की कोशिश करने पर हमें अधिकांश मौके पर सफलता हाथ लगती है. ऐसा इसलिए भी कि समस्या कैसी भी हो, उसका कोई-न-कोई समाधान तो उपलब्ध होता ही है. और फिर अपने जीवन की समीक्षा करने पर जब वे पाते हैं कि जीवन में असफलताओं से अधिक सफलताएं मिली है तो उसे याद कर खुश हो जाते हैं, उत्साह-उमंग से भर जाते हैं.
यह भी देखने-सुनने में आता है कि पुरजोर कोशिश करने के बावजूद कई लोग अनबुझ कारणों से बार-बार हारते रहते हैं. लेकिन वे हार नहीं मानते और कोशिश का दामन नहीं छोड़ते, क्यों कि ऐसे लोग मानते हैं कि कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती. ऐसे लोग उस कठिन समय में महान आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन जैसे महान लोगों को याद कर प्रेरित होते हैं. कारण यह है कि एडिसन को बिजली के बल्ब का आविष्कार से पहले हजारों बार असफलता का सामना करना पड़ा था. लेकिन जब किसी ने उनसे इस बाबत पूछा कि आप अपनी हजारों असफलता को कैसे देखते हैं तो एडिसन का उत्तर कम प्रेरणादायी नहीं था. उन्होंने कहा कि मैंने बल्ब के आविष्कार के क्रम में हजारों बार प्रयोग किये जिसका परिणाम बस अनुकूल नहीं रहा. सच है, सफलता और खुशी दोनों ही अच्छाई और सच्चाई के साथ कोशिश करनेवालों के पीछे-पीछे चलती रहती है. (hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# दैनिक जागरण में 16.12.18 को प्रकाशित
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