- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर...
हमें हर वक्त यह याद
रखने की जरुरत है कि नोट बंदी के इस अति साहसिक फैसले, जिसका व्यापक व बहुआयामी असर आने वाले
दिनों में देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में दिखनेवाला है, की सफलता के लिए कुछ बातों पर बराबर ध्यान देने
की आवश्यकता है. मसलन:
- 10 नवम्बर से 30 दिसम्बर '16 तक हरेक बैंक खाते में जमा होनेवाली नकदी पर कड़ी नजर रखने की जरुरत है. पिछले एक वर्ष के औसत जमा के मुकाबले इस बीच जमा होनेवाली राशि की तुलना आवश्यक है.
- जुगाड़ संस्कृति के दिग्गज, राजनीति, प्रशासन, व्यवसाय आदि के लाखों बागड़ बिल्ले और मगरमच्छ चालाकी और फरेब के हर हथकंडे अपनाएंगे और अपने –अपने नौकरों, सेवकों, उनके रिश्तेदारों के साथ –साथ बिचौलियों के माध्यम से बैंकों में पुराने नोट बदलवाने और ऐसे लोगों के मृत प्राय एवं कम बैलेंस वाले खातों में 2.5 लाख के ऐसे नोट जमा करवाने का हर संभव प्रयास जरुर करेंगे. करने भी लगे हैं , ऐसा मीडिया में रिपोर्ट है.
- गांवों, कस्बों, गली –मोहल्ले में भी अगले कुछ दिनों तक निरीह व गरीब लोगों को बरगलाकर, उनका इस्तेमाल करके निहित स्वार्थी लोग अपने काले धन को सफ़ेद करने के पूरी कोशिश करेंगे.
- गांव में कार्यरत डाकघर और बैंक की शाखाओं में इस तरह की कोशिश ज्यादा देखने में आयेगी. डाटा विश्लेषण तकनीक के मार्फ़त बहुत हद तक आसानी से इसका पता चल सकता है.
- बैंक के प्रबंधकों, वरीय अधिकारियों के साथ –साथ स्थानीय प्रशासन पर गैर कानूनी कार्यों में संलिप्त ऐसे सभी लोगों को चिन्हित करके उनके विरुद्ध उपयुक्त त्वरित कार्रवाई करने की महती जिम्मेदारी है.
कहना न होगा, देश के
करोड़ों आम लोगों के दुःख–दर्द–तकलीफ के
प्रति जागरूक एवं संवेदनशील केन्द्र सरकार के साथ–साथ प्रदेश सरकारों के संबंधित विभागों – वित्त, गृह, कस्टम एंड
एक्साइज, कृषि आदि से यह उम्मीद करना मुनासिब है कि वे प्रधानमंत्री के इस आह्वान को
जमीनी स्तर पर पूरी मुस्तैदी से लागू करेंगे –करवाएंगे.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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